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Karva Chauth 2020: आखिर क्यों सुहागिनें सिर्फ चांद को देखकर तोड़ती हैं अपना व्रत, जानने के लिए पढ़िये- यह खबर

Karva Chauth 2020 हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप है जिसकी उपासना करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं इसलिए सुहागिनें चांद का दीदार करने के साथ ही करवा चौथ का व्रत पूरा मानती हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 06:32 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 07:36 AM (IST)
Karva Chauth 2020: आखिर क्यों सुहागिनें सिर्फ चांद को देखकर तोड़ती हैं अपना व्रत, जानने के लिए पढ़िये- यह खबर
सुहागिनों का सबसे बड़ा त्योहार करवा चौथ पूरे देश में मनाया जाता है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। सुहागिनों का सबसे बड़ा त्योहार करवा चौथ दिल्ली-एनसीआर में पूरी सादगी के साथ मनाया जा रहा है। बुधवार को चांद निकलने पर चांद का दीदार करने के साथ यह त्योहार समाप्त हो जाएगा। क्या आप जानते हैं कि पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें आखिरकार चांद का ही क्यों दीदार करती हैं? अगर नहीं जानते तो हम बताते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक, चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप है, जिसकी उपासना करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, इसलिए सुहागिनें चांद का दीदार करने के साथ ही करवा चौथ का व्रत पूरा मानती हैं।

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एक और वजह यह है कि चांद खुद शीतल है और वह शांति प्रदान करता है और मानसिक शांति से संबंध मजबूत होते हैं। चंद्रमा शिव जी की जटा का गहना है इसलिए दीर्घायु का भी प्रतीक है।

यह भी मान्यता है कि चांद को लंबी आयु का वरदान मिला है। इसके अलावा, चांद के पास रूप-रंग, शीतलता और प्रेम है। यही वजह है कि सुहागिनें चांद की पूजा करती हैं जिससे ये सारे गुण उनके पति में भी आ जाएं।

यह भी कहा जाता है कि पति-पत्नी के संबंधों की मजबूती के साथ पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर ही व्रत का समापन चंद्रदर्शन के साथ होता है।

यह भी मान्यता है कि रूप-रंग के साथ शीतलता, शांति और प्रेम और लंबी आयु वाले पति की कामना हर युवती करती है। यही वजह है कि भारत में कुंवारी लड़कियां भी भावी पति की खातिर यह व्रत रखती हैं।

यह है करवा चौथ त्योहार के संबंध में कथा

एक बार किसी बहन को उसके भाइयों ने स्नेहवश भोजन कराने के लिए छल से चांद की बजाय छलनी की ओट में दीपक दिखाकर भोजन करवा दिया। इस तरह उसका व्रत भंग हो गया। इसके पश्चात उसने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और जब पुनः करवा चौथ आई तो उसने विधिपूर्वक व्रत किया और उसे सौभाग्य की प्राप्ति हुई। उस करवा चौथ पर उसने हाथ में छलनी लेकर चांद के दर्शन किए।

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