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    DHFL के प्रमोटर और सीएमडी कपिल वधावन को 34926 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी में जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट का इनकार

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 07:49 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 34926 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में डीएचएफएल के प्रमोटर कपिल वधावन की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आर्थिक अपराध पीड़ितों के साथ वित्तीय प्रणाली के खिलाफ भी हैं। वधावन पर गबन और फर्जी कंपनियां बनाने का आरोप है जिससे गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है।

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    डीएचएफएल प्रमोटर को जमानत देने से हाई कोर्ट का इनकार।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 34 हजार 926 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में DHFL के प्रमोटर कपिल वधावन को जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया।

    हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक अपराध पीड़ितों के साथ ही समग्र वित्तीय प्रणाली के खिलाफ अपराध हैं। जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रविंद डुडेजा की पीठ ने कहा न्यायिक हिरासत के दौरान मूल्यवान संपत्तियों और लेनदेन में हेरफेर के आरोप गंभीर हैं।

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    अदालत ने नोट किया कि कपिल वधावन गंभीर वित्तीय अपराधों से जुड़े विभिन्न अदालतो में कई जांचों और मामलों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में उनके जमानत पर रिहा होने से जांच प्रभावित हो सकती है।

    पीठ ने कहा कि अदालत किसी ऐसे व्यक्ति को रिहा करने की अनुमति नहीं दे सकती जो प्रथमदृष्टया एक गहरी वित्तीय धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड है, वह भी तब जब मुकदमा अभी शुरुआती चरण में हो।

    अदालत ने कहा कि अगर कपिल वधावन को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो आवेदक सुबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है या न्याय से भाग सकता है।

    सीबीआई ने आरोप लगाया था कि डीएचएफएल के प्रमोटर और सीएमडी के रूप में कपिल वधावन 17 बैंकों के एक संघ से लगभग 34 हजार 926 करोड़ रुपये के धन के गबन और गबन से जुड़े एक बड़े वित्तीय धोखाधड़ी के मुख्य सूत्रधार थे।

    अदालत ने कहा कि इस मामले के कई गवाह या तो डीएचएफएल के पूर्व कर्मचारी या सहयोगी बताए गए हैं, इसलिए इस बात का बहुत ज्यादा संभावना है कि याचिकाकर्ता गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है।

    वधावन पर सहयोगियों, कर्मचारियों और रिश्तेदारों के नाम पर 87 फर्जी कंपनियां बनाने और संचालित करने का आरोप लगाया गया था।

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