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    Kanwar Yatra में ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं साउंड सिस्टम, दिल्ली पुलिस ने नहीं जारी किया कोई दिशा-निर्देश

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Sun, 29 Jun 2025 07:57 AM (IST)

    कांवड़ यात्रा में तेज साउंड सिस्टम से ध्वनि प्रदूषण होता है जिससे लोगों को परेशानी होती है। दिल्ली पुलिस ने अभी तक कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है जिससे कार्रवाई पर संदेह है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है इसलिए नरमी बरतनी पड़ती है। ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन मुश्किल है।

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    मार्च में जारी एडवाइजरी के सहारे पुलिस। फाइल फोटो

    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। कांवड़ यात्रा के दौरान तेज आवाज में साउंड सिस्टम ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं। इसकी वजह से लोगों को परेशानी भी होती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर पुलिस लाचार नजर आती है।

    इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 10 जुलाई से हो जाएगी। इसके तीन-चार दिन बाद ही कांवड़िये दिल्ली पहुंचने लगेंगे। लेकिन अभी तक पुलिस की तरफ से कांवड़ यात्रा के दौरान साउंड सिस्टम को लेकर किसी तरह का दिशानिर्देश जारी नहीं किया है।

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    ऐसे में इन पर कोई कार्रवाई होगी, इसे लेकर भी संदेह है। दिल्ली पुलिस के पास इन पर अब तक हुई कार्रवाई का कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कांवड़ियों पर कार्रवाई किए जाने से कानून-व्यवस्था को चुनौती मिलने लगती है। धार्मिक यात्रा होने के कारण पुलिस को नरमी से पेश आना पड़ता है।

    17 मार्च को जारी हुई थी एडवाइजरी

    हालांकि ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली में लाउडस्पीकर और अन्य आडियो उपकरणों के उपयोग पर सख्त पाबंदी है। सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने 17 मार्च को एडवाइजरी जारी कर कहा था कि लाउडस्पीकर और साउंड बाक्स आदि का उपयोग करने से पहले स्थानीय थाने से लिखित अनुमति लेनी होगी।

    उपकरण आपूर्तिकर्ताओं और नागरिक निकायों की भी जिम्मेदारी बढ़ाते हुए रात के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग के प्रतिबंध कड़े बनाए गए।

    उल्लंघन करने वाले के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 270 (उपद्रव), 292 (सार्वजनिक उपद्रव) और 293 (बंद करने की निषेधाज्ञा के बाद भी उपकरण चालू रखना) के तहत मामला दर्ज करने और 50 हजार रुपये तक जुर्माने का भी प्रविधान है। लेकिन इनका पालन कांवड़ यात्रा के दौरान होना संभव नहीं है। क्योंकि ये किसी एक थाना क्षेत्र का मामला नहीं है।

    कहां कितने डेसिबल के आवाज की है अनुमति?

    क्षेत्र - सुबह छह से रात दस बजे तक - रात दस से सुबह छह बजे तक

    • औद्योगिक क्षेत्र - 75 - 70
    • कमर्शियल क्षेत्र - 65 - 55
    • रिहायशी क्षेत्र - 55 - 45
    • मौन क्षेत्र - 50 - 40

    नोट: मौन क्षेत्र को अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, न्यायालयों, धार्मिक स्थलों या किसी अन्य क्षेत्र के आसपास 100 मीटर के क्षेत्र में वाहनों के हार्न, लाउड स्पीकर और पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध है।

    आपूर्तिकर्ताओं पर भी है पाबंदी का प्रविधान

    आदेश में कहा गया है कि सभी टेंट, लाउडस्पीकर और जनरेटर आपूर्तिकर्ता स्थानीय पुलिस की लिखित अनुमति के बिना उपयोगकर्ताओं को उपकरण न दें। जिले के डीसीपी को सुनिश्चित करना होगा कि आपूर्तिकर्ता इस शर्त का अनुपालन करें।

    अनुपालन नहीं करने वाले आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। नया आदेश ध्वनि प्रदूषण को रोकने में मदद करेगा क्योंकि इससे आसानी से पता चल सकेगा कि किसी कार्यक्रम के आयोजक के पास लाउडस्पीकर, सार्वजनिक संबोधन प्रणाली या अन्य ध्वनि उपकरण की आपूर्ति की अनुमति है या नहीं।

    कांवड़ यात्रा में भक्ति संगीत होते हैं। लेकिन तय सीमा से अधिक तेज आवाज से लोगों को दिक्कत हो सकती है। इसका ध्यान सभी कांवड़ियों को रखना चाहिए। पुलिस की तरफ से जरूरी कदम उठाने चाहिए। हम लोग अपील करेंगे कि संयमित तरीके से यात्रा संपन्न हो।

    -रतन लाल गर्ग, प्रधान, यमुना विहार कांवड़ मंदिर समिति