इतनी चर्चा में क्यों है दिल्ली की ये हॉट सीट... AAP-BJP और कांग्रेस ने बड़े चेहरों पर लगाया दांव; समझिए पूरा समीकरण
Delhi Chunav 2025 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कालकाजी सीट काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने दिग्गज को मैदान में उतारा है। वहीं तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार भी काफी सुर्खियों में हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस सीट का समीकरण क्या है और यहां कब-कब कौन जीता है।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली के विधानसभा चुनावों में कालकाजी सीट इतनी चर्चा में पहले कभी नहीं रही जितनी इस बार हैं, क्योंकि पहली बार इस सीट से जीतीं विधायक सीएम बनीं और अब दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। आतिशी 2015 में इस सीट से चुनाव जीती थीं, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह सीएम भी बन सकती हैं।
भाजपा ने रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतारा
राजनीतिक समीकरण ऐसे बने कि आतिशी सीएम बन गईं। आतिशी के सीएम बनने के बाद भाजपा ने अपने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को इस सीट से प्रत्याशी के तौर पर उतार दिया। वहीं, कांग्रेस ने भी अपनी जुझारू अलका लांबा को चुनावी मैदान में उतार दिया है। लांबा के आने से अब इस सीट पर मामला त्रिकोणीय हो गया है। ऐसे में, यह सीट अब अपने प्रत्याशियों की वजह से चर्चा में आ गई है।
इस सीट पर सबसे बीजेपी ने दर्ज की थी जीत
वर्ष 1993 से ही यह सीट मौजूद हैं। यहां से पहली बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर पूर्णिमा सेठी ने जीत दर्ज की थी, जबकि तीन बार कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रदेश अध्यक्ष रहे सुभाष चोपड़ा यहां से विधायक रहे। वर्ष 2013 में भाजपा के साथ शिरोमणी अकाली दल (शिअद) का गठबंधन था, लेकिन चुनाव चिह्न भाजपा का था। भाजपा ने यहां पर जीत दर्ज की थी।
हैट-ट्रिक बनाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी आप
वर्ष 1998 से 2008 तक यहां से सुभाष चोपड़ा ने लगातार तीन चुनाव जीते। आप यहां पर पहला चुनाव 2015 में जीती। कालकाजी सीट का नाम यहां विख्यात कालकाजी मंदिर से प्रचलित हैं। भाजपा के पास यहां पर अब एक दशक बाद फिर से कमल खिलाने की चुनौती है, जबकि आप यहां से हैट-ट्रिक बनाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी है।
अलका लांबा ने कांग्रेस से की राजनीति की शुरुआत
कांग्रेस के लिए इस चुनाव में इस सीट पर विजय पाना इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उसे अपनी खोई जमीन वापस लेनी है। कांग्रेस से राजनीति में करियर शुरू करने वालीं अलका लांबा आम आदमी पार्टी के गठन के साथ ही उसमें आ गई थीं। आप ने 2015 में चांदनी चौक सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा था। जहां से वह जीत भी गई थीं, लेकिन पूर्व पीएम राजीव गांधी पर आप के विवादित बयानों के चलते वह फिर कांग्रेस में चली गईं। अभी फिलहाल वह कांग्रेस की महिला विंग की प्रमुख हैं।
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अलका लांबा का कालकाजी से प्रत्याशी के तौर नाम पहली ही सूची में आना था, लेकिन लांबा ने इनकार कर दिया था। पार्टी में हुई आतंरिक चर्चा के बाद वह मान गईं। इस सीट पर जब भी चुनाव हुए हैं तो भाजपा या तो चुनाव जीती है या फिर प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रही हैं। ऐसे में भाजपा ने इस सीट पर विजय पाने के लिए अपने कद्दावर नेता रमेश बिधूड़ी को चुनाव मैदान में उतार दिया है। बिधूड़ी 2014 व 2019 में दक्षिणी दिल्ली लोस सीट से चुनाव जीते हैं।
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