'इस बार 'ट्रायल' का सीजन 2 पिछले सीजन से अलग होगा', जागरण फिल्म फेस्टिवल में बोलीं एक्ट्रेस काजोल
अभिनेत्री काजोल ने जागरण फिल्म फेस्टिवल में कहा कि अभिनय उनके लिए थेरेपी है। उन्होंने अपनी वेब सीरीज ट्रायल के सीजन 2 के बारे में बात की जो 19 सितंबर को रिलीज होगी। काजोल ने किरदार को परतदार बताया और निर्देशक उमेश बिष्ट की प्रशंसा की। उन्होंने अपनी पसंदीदा फिल्मों और अभिनय के अनुभवों को भी साझा किया।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। मुझे काम करते हुए 33 वर्ष हो गए हैं, ये मेरा 34वां वर्ष चल रहा है। मैंने जितना काम अपने अभिनय के 15वें या 16वें वर्ष में नहीं किया था पर 34वें वर्ष में बहुत काम करना पड़ रहा है। लेकिन अभिनय मेरे लिए एक तरह की थेरेपी है, जहां मैं अपने अनुभवों को पर्दे पर बेहतरीन ढंग से पेश करती हूं।
हर किसी को अपनी जिंदगी में एक बार अभिनय करना चाहिए। ये बातें अभिनेत्री काजोल ने जागरण फिल्म फेस्टिवल के अंतिम दिन सिरीफोर्ट आडिटोरियम में अपनी वेब सीरिज ट्रायल के दूसरे सीजन को लेकर खास बातचीत के दौरान कही।
उन्होंने बताया कि इस बार ट्रायल का सीजन 2 पिछले सीजन से अलग है। इस बार किरदार में अधिक गहराई आई है। सीखने का बेहतरीन अनुभव रहा। निर्देशक उमेश बिष्ट के साथ काम करना बेहद खास रहा। वो बहुत नाजुक तरीके से महिलाओं की कहानियां पेश करते हैं। ट्रायल का सीजन- 2 आगामी 19 सितंबर को जियो हाटस्टार पर रिलीज हो रहा है।
सीजन 2 के बारे में बात करते हुए काजोल ने कहा कि यह सिर्फ एक सीरीज नहीं है, बल्कि एक सामाजिक पहल है। यह समाज की उन कहानियों को सामने लाती है, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मैं ऐसी कहानी का हिस्सा बन रही हूं। मुझे ये किरदार बहुत पसंद आया।
अगर नोयोनिका असल जिंदगी में मेरी दोस्त होती तो मुझे अच्छा लगता। दर्शकों को इसका किरदार देख कर ही लगता है कि नोयोनिका गलत नहीं सही है, वो शायद गलत काम कर रही है, बर्ताव कहीं पर सही न हो, लेकिन इस किरदार को देखने के बाद लोग कहते हैं कि चाहे जो हो हम उसके साथ है। कुल मिलाकर नोयोनिका एक परतदार किरदार है। उसके अंदर अच्छाई और कमियां दोनों हैं।
सिनेप्रेमियों से सवाल- जवाब के दौरान काजोल ने अपनी पसंदीदा फिल्मों और यादगार सीन पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि मैंने 18 वर्ष में एक फिल्म की थी उधार की जिंदगी। वो फिल्म इतनी भावनात्मक थी, उसमें मैं कहीं गिर रही हूं, दौड़ रही हूं, रो रही हूं। फिल्म करने के बाद मैं इतना बर्नआउट हुई कि मैंने अपनी मां से कहा कि मैं अब आगे किसी फिल्म में कोई काम नहीं करूंगी। एक कलाकार को खुद की सीमाएं समझनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अभिनय से आत्मा का संतुलन बनता है। कई बार हम अपने किरदार में इतनी गहराई से जाते हैं कि खुद को ही भूल जाते हैं।
वहीं, ट्रायल सीजन 2 के निर्देशक उमेश बिष्ट ने कहा कि मर्द जो भी महिलाओं की कहानी सुनाते हैं वो महिलाओं से ही सीख कर ही सुनाते हैं।
उन्होंने काजोल की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सहजता और अंतरात्मा की आवाज ही उन्हें एक बेहतरीन कलाकार बनाती है। उमेश ने कहा कि जामिया विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने डाक्यूमेंट्री फिल्ममेकर के तौर पर काम करना शुरू किया था और कई वर्षों तक काम करने के बाद जब काफी अनुभव हो गया तो फिक्शन पर काम करना शुरू किया। दिल्ली में बिताए समय को लेकर उन्होंने खुलकर बात की।
एक अच्छा कलाकार वो होता है, जो खुद को भूलकर किरदार में पूरी तरह डूब जाए। नोयोनिका के किरदार में यह सीखने को बहुत मिला।- काजोल
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