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    Justice Yashwant Verma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के समक्ष 52 मामले लंबित, रोस्टर पीठ करेगी मामलों की सुनवाई

    By Vineet Tripathi Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Mon, 21 Apr 2025 07:15 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने के मामले में लंबित 52 मामलों की सुनवाई के संबंध में अधिसूचना जारी की है। न्यायमूर्ति वर्मा की पीठ के समक्ष लंबित मामलों को अब न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ द्वारा सुना जाएगा। इन मामलों में बिक्री कर जीएसटी और कंपनी अपील जैसे विषय शामिल हैं।

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    जस्टिस यशवंत वर्मा के समक्ष लंबित 52 मामलों की नए सिरे से सुनवाई होगी। फाइल फोटो

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आवास पर मिली नकदी के मामले में उच्च स्तरीय जांच का सामना कर रहे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष लंबित 52 मामलों की सुनवाई के संबंध में अधिसूचना जारी की है।

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    नए सिरे से की जाएगी सुनवाई

    सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जारी नोटिस के अनुसार न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ के समक्ष लंबित 52 मामले, जिनमें अगली तारीख तो दे दी गई थी लेकिन कोई आदेश पारित नहीं हुआ था, अब न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ द्वारा नए सिरे से सुनवाई की जाएगी।

    न्यायमूर्ति वर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ बिक्री कर, जीएसटी, कंपनी अपील और मूल पक्ष की अन्य अपीलों के मामलों की सुनवाई कर रही थी।

    ये है मामला

    लुटियन दिल्ली स्थित यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में 14 मार्च को होली की रात करीब 11.35 बजे आग लग गई थी। इस दौरान जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे और उनके परिजनों ने फायर ब्रिगेड को फोन किया था। मौके पर पहुंची टीम को आग बुझाते समय भारी मात्रा में नकदी मिली थी।

    हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की आंतरिक रिपोर्ट पर 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी।

    इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की और केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी। इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के विरोध को देखते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा को पांच अप्रैल को चैंबर में शपथ दिलाई गई थी।

    हालांकि, चीफ जस्टिस के आदेश के तहत जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने न्यायिक कार्य नहीं सौंपा है।

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