जस्टिस डीके शर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट ने दी विदाई, कलकत्ता हाई कोर्ट में संभालेंगे नई जिम्मेदारी
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को शुक्रवार को एक भावभीनी विदाई दी गई। जस्टिस शर्मा अब कलकत्ता हाई कोर्ट में अपनी नई भूमिका निभाएंगे। इस तबादले पर कुछ विवाद भी सामने आए लेकिन केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी। जस्टिस शर्मा ने कहा कि बीता सप्ताह उनके लिए तेजी से गुजरा और वे नियति में विश्वास के साथ नई जिम्मेदारी के लिए उत्साहित हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को आज दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) ने एक विशेष समारोह में भावभीनी विदाई दी। जस्टिस शर्मा अब कलकत्ता हाई कोर्ट में अपनी नई भूमिका निभाएंगे। यह तबादला सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद हुआ है। अपने विदाई भाषण में जस्टिस शर्मा ने कहा कि बीता सप्ताह उनके लिए तेजी से गुजरा और वे नियति में विश्वास के साथ नई जिम्मेदारी के लिए उत्साहित हैं।
जस्टिस शर्मा ने अपने 37 साल के करियर को याद करते हुए वकील समुदाय के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि बार ने उन्हें न केवल एक जज के रूप में, बल्कि एक इंसान के रूप में भी तराशा। रजिस्ट्रार जनरल के कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कोविड-19 संकट के दौरान बार के सहयोग को अहम बताया, जिसने न्यायपालिका को मुश्किल वक्त में संभाला। उन्होंने युवा और वरिष्ठ वकीलों की मेहनत की तारीफ की और कहा कि उनकी वजह से ही न्याय व्यवस्था मजबूत हुई है।
जस्टिस शर्मा ने कलकत्ता हाईकोर्ट में नियुक्ति को बताया सौभाग्य
समारोह में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और डीएचसीबीए अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिशरण मौजूद थे। दोनों ने जस्टिस शर्मा के कार्यकाल की प्रशंसा की और उनकी निष्ठा व नेतृत्व को सराहा। जस्टिस शर्मा ने कलकत्ता हाई कोर्ट में नियुक्ति को सौभाग्य बताया और वहां के बार के साथ मिलकर न्याय व्यवस्था को मजबूत करने की उम्मीद जताई।
इस दौरान उन्होंने कवि शिव मंगल सुमन की कविता 'क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत में' की पक्तियां भी दोहराई। इस कविता को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर दोहराते रहते थे।
जस्टिस शर्मा के तबादले पर सामने आए विवाद
हालांकि, उनके तबादले पर कुछ विवाद भी सामने आए। कलकत्ता हाई कोर्ट की तीन बार एसोसिएशंस- इन्कॉर्पोरेटेड लॉ सोसाइटी ऑफ कलकत्ता, बार लाइब्रेरी क्लब और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को संयुक्त ज्ञापन सौंपकर उनकी नियुक्ति पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि अक्टूबर 2024 से जस्टिस शर्मा के खिलाफ शिकायतें लंबित हैं और कलकत्ता हाई कोर्ट को संदिग्ध छवि या कम समय के जज की जरूरत नहीं।
केंद्र सरकार ने जस्टिस शर्मा के तबादले को दी मंजूरी
इसके बावजूद, कलकत्ता हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने उनके शपथ ग्रहण समारोह के बहिष्कार के आह्वान से दूरी बनाई। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर जस्टिस शर्मा के तबादले को मंजूरी दी। यह दिल्ली हाई कोर्ट से किसी जज का तीसरा तबादला है। जस्टिस शर्मा का यह कदम भारतीय न्यायपालिका में एक नया अध्याय शुरू करेगा।
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