हिंदी-मराठी का कोई विवाद नहीं, छत्रपति शिवाजी को मानने वाले संकुचित सोच के नहीं: देवेंद्र फडणवीस
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुसुमाग्रज विशेष केंद्र और छत्रपति शिवाजी महाराज विशेष केंद्र का उद्घाटन हुआ। मुख्यमंत्री फडणवीस ने मराठी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला और जेएनयू में शिवाजी की प्रतिमा स्थापित करने पर सहमति जताई। वाम छात्र संगठनों ने फडणवीस के कार्यक्रम के दौरान विरोध प्रदर्शन भी किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: महराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाषा संवाद का माध्यम है, विवाद का नहीं। मराठी हमारी मातृभाषा है और इसका अभिमान इसी रूप में है।
हम सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करते हैं। मराठी और हिंदी का कोई विवाद नहीं है, लेकिन यह देखकर दुख होता है कि भारतीय भाषाओं का तिरस्कार कर अंग्रेजी भाषा को बहुत अधिक तवज्जो दी जाती है।
फडणवीस जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शुरू किए गए ‘कुसुमाग्रज विशेष केंद्र’ और ‘छत्रपति शिवाजी महाराज विशेष केंद्र’ के उद्घाटन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
फडणवीस ने कहा, मराठी भारत की अति प्राचीन और विशिष्ट भाषा है। मराठी भाषा ने पूरे भारत को समृद्ध किया है। मराठी नाटक और साहित्य देश में अग्रणी है।
वर्तमान थिएटर को बनाए रखने में मराठी का बहुत बड़ा योगदान है। सभी विश्वविद्यालयों में मराठी का अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने कहा, हर मराठी भाषी को मराठी का अभिमान है।
यह होना ही चाहिए, लेकिन दूसरी भारतीय भाषाओं का सम्मान भी जरूरी है। तमिल अति प्राचीन भाषा है। इसका हमें अभिमान है। मराठाओं ने खुद का विचार नहीं किया।
भारतीय संस्कृति का झंडा पूरे देश में लगना चाहिए, यही प्रयास व करते रहे। छत्रपति शिवाजी महाराज और संत ज्ञानेश्वर ने हमें कभी संकीर्णता नहीं सिखाई। संत ज्ञानेश्वर ने तो पूरी दुनिया के कल्याण की कामना की थी।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को छत्रपति से एलर्जी है। लेकिन, ऐसे लोग हाथों पर गिनने वाले ही हैं। भारत छत्रपति के नाम से जाना जाता है और जाना जाता रहेगा। इस मौके पर तंजौर राजवंश के छत्रपति बाबाजीराजे भोसले और रजिस्ट्रार रविकेश मिश्र मौजूद रहे।
जेएनयू में शिवाजी की प्रतिमा लगेगी
महाराष्ट्र के राजभाषा और उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि कुलपति ने उन्हें दो हजार एकड़ स्थान में जगह शिवाजी की प्रतिमा के लिए जगह देने की बात कही है। हम अपने खर्च पर प्रतिमा लगाएंगे।
उन्होंने कुलपति से इसके लिए एक पत्र देने की मांग की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, जेएनयू में छत्रपति की प्रतिमा लगने की स्वीकृति प्रसन्नता का विषय है।
छत्रपति की प्रतिमा सिर्फ निर्जीव वस्तु नहीं है, इसमें ऊर्जा है, जो लोगों को देश के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। सामंत ने कहा कि वह महराष्ट्र के छात्रों को जेएनयू में पढ़ने आने के लिए प्रेरित करेंगे।
वाम में नहीं हुआ, पीएम के शासन में हुआ
कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने कहा, पहली महिला कुलपति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जेएनयू को मिली है। वामपंथी स्त्री अधिकार की बात तो करते हैं, लेकिन वह इतने सालों में एक महिला कुलपति नियुक्त नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि मराठी भाषा का केंद्र शुरू होकर 70 साल का सूखा खत्म हुआ है। जेएनयू में बहुत सस्ती पढ़ाई है और गरीब छात्रों से यहां अध्ययन के लिए आने का आह्वान करती हूं। सेना व नौसेना के प्रमुख जेएनयू के पूर्व छात्र हैं।
दो नए केंद्रों का उद्घाटन
कुसुमाग्रज विशेष केंद्र: यह मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति पर केंद्रित होगा। यहां स्नातकोत्तर और प्रमाणपत्र स्तर के पाठ्यक्रम संचालित होंगे ताकि बहुभाषावाद और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा मिले।
यह केंद्र प्रसिद्ध मराठी कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कुसुमाग्रज के नाम पर स्थापित किया गया है।
श्री छत्रपति शिवाजी महाराज विशेष केंद्र फार सिक्योरिटी एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज: यह केंद्र मराठा साम्राज्य के सैन्य इतिहास और स्वदेशी रणनीतिक परंपराओं के अध्ययन को बढ़ावा देगा। यहां भारत के सैन्य इतिहास, रणनीति और भविष्य की नीतियों पर शोध होगा।
वाम कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यक्रम के दौरान वाम छात्र संगठनों ने जमकर नारेबाजी की। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष नीतीश कुमार ने काले कपड़े दिखाकर उनका विरोध किया।
उन्होंने कहा, छत्रपति के केंद्र के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन दूसरे भाषा के लोगों के खिलाफ महाराष्ट्र में मारपीट और अंधराष्ट्रवाद के खिलाफ उन्होंने विरोध जताया है। इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा और छात्रों को अतिथियों के करीब नहीं जाने दिया गया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।