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    JNU: छात्रसंघ ने की छात्रों पर जुर्माने की खिलाफत, डीन आफ स्टूडेंट को लिखा पत्र

    By SANJEEV KUMAR MISHRAEdited By:
    Updated: Wed, 20 Jan 2021 06:29 PM (IST)

    जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों की वापसी का पांचवां चरण चल रहा है। एक फरवरी से छठवां चरण भी प्रारंभ होगा। फिलहाल पीएचडी अंतिम वर्ष और विज्ञान वर्ग के छात्रों को ही प्रवेश की इजाजत है। छात्रावास में रहने की कीमत जुर्माना अदा करके चुकाना पड़ रहा है।

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    शोध समेत पाठ्यक्रम संबंधी जरुरतों के चलते अन्य वर्गों के छात्र भी परिसर में दाखिल हो रहे हैं।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों की वापसी का पांचवां चरण चल रहा है। एक फरवरी से छठवां चरण भी प्रारंभ होगा। फिलहाल, पीएचडी अंतिम वर्ष और विज्ञान वर्ग के छात्रों को ही प्रवेश की इजाजत है। लेकिन शोध समेत पाठ्यक्रम संबंधी जरुरतों के चलते अन्य वर्गों के छात्र भी परिसर में दाखिल हो रहे हैं। इन छात्रों को छात्रावास में रहने की कीमत जुर्माना अदा करके चुकाना पड़ रहा है। 

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    जेएनयू छात्रसंघ ने डीन आफ स्टूडेंट को पत्र लिखकर जुर्माना ना लगाने की गुजारिश की है। छात्रसंघ ने मांग की है कि--

    • अब तक जिन छात्रों पर जुर्माना लगाया है वो वापस लिया जाए।
    • विज्ञान एवं गैर विज्ञान वर्ग में भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी वर्ग के छात्रों को कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते प्रवेश की इजाजत दी जाए।
    • प्रत्येक छात्रावास में मेस सुविधा शुरू की जाए। संविदा कर्मियों को वापस बुलाया जाए।
    • कई छात्रावास में वाई-फाई की सुविधा ठप है। इसे तुरंत शुरू कराया जाए ताकि छात्र आनलाइन पढ़ाई कर सके।
    • जेएनयू परिसर में स्थित ढाबों को खोला जाए।

    तस्वीरों के जरिए बयां किया कश्मीरी हिंदुओं का दर्द

    19 जनवरी की देर शाम जेएनयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कश्मीरी हिंदू विस्थापन दिवस पर प्रदर्शनी के जरिये विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को दिखाया। जेएनयू अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने बताया कि रातों रात अपने पूर्वजों के घरों से बेघर कर दिए गए कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को समझने की कोशिश बहुत कम की गई है।

    विद्यार्थी परिषद ने हर वर्ष की तरह जेएनयू छात्रों के बीच कश्मीरी विस्थापितों के दर्द को बताया।

    बकौल शिवम अकादमिक चर्चा में इस इस घटना को कहीं भी स्थान नहीं दिया गया है। इस विषय में गंभीर अध्ययन की आवश्यकता है ताकि पुनः इस प्रकार की घटनाओं को होने से रोका जा सके।

     

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