JNU कुलपति और छात्र संघ के बीच बनी सहमति, हड़ताल समाप्त; 16वें दिन छात्रों की मांगें आंशिक रूप से मानी गईं
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 16 दिनों से चल रही छात्रसंघ की भूख हड़ताल विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रसंघ के बीच हुई बैठक के बाद समाप्त हो गई। बैठक में जेएनयूईई को पुनः शुरू करने के लिए समिति का गठन होस्टल विस्तार के लिए अंडरटेकिंग फार्म वापस लेने और एम.सी.एम. स्कॉलरशिप बढ़ाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखने जैसे कई मुद्दों पर सहमति बनी।

जागरण संवादातता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 16 दिनों से जारी छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) की भूख हड़ताल मंगलवार को महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गई। विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रसंघ के पदाधिकारियों के बीच शुक्रवार हुई बैठक में कई प्रमुख मांगों पर सहमति बनी। इसके बाद देर रात छात्रों ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी।
बैठक में कुलपति, जेएनयूएसयू अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और अन्य भूख हड़ताली छात्र शामिल हुए। इनके अलावा स्कूल आफ सोशल साइंसेज के डीन प्रो. विवेक कुमार, डीन ऑफ स्टूडेंट्स प्रो. मनुराधा चौधरी, सीएमओ डा. फौजिया फिरदौस ओजैर, निदेशक प्रवेश प्रो. सुनील कटेरिया, वीसी कार्यालय के ओएसडी प्रो. पीआर कुमारस्वामी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखेगा
बैठक में जेएनयूईई को पुनः शुरू करने पर समिति का गठन, जिसमें एसएफसी और काउंसलर अपनी राय और सुझाव देंगे। होस्टल विस्तार के लिए पूर्व में लिया गया अंडरटेकिंग फार्म वापस लिया गया। अब विस्तार थीसिस सबमिशन की आरएसी सिफारिशों के आधार पर दिया जाएगा। मेरिट-कम-मीन्स (एमसीएम) स्कॉलरशिप बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखेगा।
प्रॉक्टोरियल जांचों को रद करने की अपील
प्रॉक्टोरियल जांचों को रद करने की अपील पर कुलपति विचार करेंगे। एमसीएम राशनलाइजेशन कमेटी को वापस लिया जाएगा। इसके अलावा, सात जुलाई 2025 की बैठक में यह भी सहमति बनी थी कि जून 2025 नेट के अभ्यर्थियों को वर्तमान प्रवेश प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। इन मांगों पर सहमति बनने के बाद छात्र सबरमती टी पॉइंट पर एकत्र हुए और हड़ताल को समाप्त कर दिया।
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के लगातार विरोध के बाद प्रशासन ने वार्ता का मार्ग अपनाया। छात्रों का कहना है कि वे विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक परंपराओं की बहाली और छात्र हितों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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