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    PM मोदी पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की घोषणा पर JNU सख्त, कड़ी कार्रवाई की दी चेतावनी

    Updated: Mon, 16 Dec 2024 10:12 PM (IST)

    जेएनयू में पीएम मोदी पर आधारित विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाने की घोषणा से हड़कंप मचा हुआ है। सोशल मीडिया के जरिये वायरल पोस्टर में लिखा गया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया पर 2019 में दिल्ली पुलिस के हमले की याद में ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) जेएनयू 17 दिसंबर को रात 9 बजे बीबीसी डाक्यूमेंट्री इंडिया द मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग कर रहा है।

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    विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाने की घोषणा के बाद जेएनयू प्रशासन सख्त।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक छात्र संगठन ने सोमवार को एक पोस्टर वितरित किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधारित प्रतिबंधित बीबीसी डाक्यूमेंट्री दिखाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद जेएनयू प्रशासन ने एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि संबंधित छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे ऐसी सभी गतिविधियों से बचें, अन्यथा विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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    सोशल मीडिया के जरिये वायरल पोस्टर में लिखा गया है कि "जामिया मिलिया इस्लामिया पर 2019 में दिल्ली पुलिस के हमले की याद में, ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) जेएनयू 17 दिसंबर को रात 9 बजे बीबीसी डाक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग कर रहा है।" इसमें यह भी बताया गया है कि स्क्रीनिंग कैंपस के गंगा ढाबा पर होगी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के अध्यक्ष धनंजय ने छात्रों की राय व्यक्त करने की इच्छा का समर्थन किया है।

    कैंपस को आलोचनात्मक विश्लेषण का स्थान होना चाहिए: धनंजय

    उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि कैंपस को ऐसे मामलों पर आलोचनात्मक विश्लेषण के लिए स्थान होना चाहिए। डाक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध क्यों होना चाहिए। इस पर चर्चा होनी चाहिए, और विश्वविद्यालय को इसे सुविधाजनक बनाना चाहिए। अगर स्क्रीनिंग के दौरान कोई समस्या आती है, तो हम छात्रों के साथ खड़े रहेंगे।"

    योजना के अनुसार स्क्रीनिंग जारी रखने के लिए दृढ़: साजिद

    जेएनयूएसयू के संयुक्त सचिव और एआइएसएफ के सदस्य साजिद ने बताया कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के संबंध में उन्हें फोन पर पुलिस द्वारा पूछताछ की गई। परिसर में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए किसी पूर्व अनुमति की औपचारिक प्रक्रिया नहीं है। हम योजना के अनुसार स्क्रीनिंग जारी रखने के लिए दृढ़ हैं। अगर अधिकारी हमें बड़ी स्क्रीन पर डाक्यूमेंट्री दिखाने से रोकते हैं, तो हम वैकल्पिक तरीके खोज लेंगे। चाहे वह लैपटॉप के माध्यम से हो या फोन के माध्यम से, स्क्रीनिंग होगी। हम किसी भी तरह की बाधा से डरेंगे नहीं।

    कार्यक्रम के लिए आइएचए से कोई पूर्व अनुमति नहीं

    जेएनयू प्रशासन की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि इंटर-हॉस्टल प्रशासन (आइएचए) से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। "यह ध्यान में आया है कि छात्रों के एक समूह ने कल रात 9 बजे गंगा ढाबा पर निर्धारित एक प्रतिबंधित डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए एक पर्चा जारी किया है। इस कार्यक्रम के लिए आइएचए से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई है।"

    इसमें कहा गया कि संबंधित छात्रों को सख्ती से सलाह दी जाती है कि वे ऐसी सभी गतिविधियों से बचें, अन्यथा विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। दो-भाग वाली डाक्यूमेंट्री, जो 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है, को मूल रूप से जनवरी 2023 में प्रसारण के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, केंद्र ने इसके रिलीज पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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