2017 से अब तक JNU में यौन उत्पीड़न की 151 शिकायतें, विश्वविद्यालय का दावा- लगभग 98% शिकायतों का हुआ निपटारा
जेएनयू में 2017 से अब तक यौन उत्पीड़न की 151 शिकायतें दर्ज की गई हैं। विश्वविद्यालय का दावा है कि उसने इनमें से लगभग 98 प्रतिशत शिकायतों का समाधान कर दिया है जबकि वर्तमान में केवल तीन मामलों की जांच चल रही है। हालांकि शिकायतों की प्रकृति और आरोपियों के खिलाफ गोपनीयता का हवाला देकर जानकारी देने से इनकार कर दिया।

पीटीआई, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 2017 से अब तक यौन उत्पीड़न की 151 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इस साल ही इसकी आंतरिक शिकायत समिति (आइसीसी) ने उत्पीड़न के खिलाफ लैंगिक संवेदनशीलता समिति (जीएसकैश) की जगह ली थी। यह जानकारी एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों से मिली है।
विश्वविद्यालय का दावा है कि उसने इनमें से लगभग 98 प्रतिशत शिकायतों का समाधान कर दिया है, जबकि वर्तमान में केवल तीन मामलों की जांच चल रही है। हालांकि, शिकायतों की प्रकृति और आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर, जेएनयू ने गोपनीयता का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया। 2017 में जीएसकैश को खत्म करने का फैसला एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। जेएनयू छात्र संघ और शिक्षक संघ लगातार इसकी बहाली की मांग कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा मामले 2018-19 में दर्ज किए गए
दोनों का तर्क तर्क है कि आइसीसी में वह पारदर्शिता और स्वायत्तता नहीं है, जो जीएसकैश प्रदान करता है और यह प्रशासनिक प्रभाव के तहत काम करती है। इससे प्रक्रिया प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता। डेटा से पता चलता है कि एक साल में सबसे ज्यादा मामले 2018-19 में दर्ज किए गए, जिसमें 63 शिकायतें थीं।
2022-23 और 2023-24 में 30-30 शिकायतें दर्ज
आइसीसी के गठन से पहले, जेएनयू को 2016 में 38 रिकॉर्ड मामले मिले थे। कोविड-19 महामारी के वर्षों में इसमें उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, 2019 और 2021 के बीच केवल छह शिकायतें दर्ज की गईं। संभवतः परिसर में कम गतिविधि के कारण ऐसा हुआ। हालांकि, हाल के वर्षों में संख्या में वृद्धि हुई है। 2022-23 और 2023-24 में 30-30 शिकायतें दर्ज की गईं। आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में सत्रह मामले, 2018-19 में 63, 2019-20 में पांच, 2020-21 में एक और 2021-22 में पांच मामले दर्ज किए गए।
तीन वर्षों की अवधि में 51 मामले दर्ज किए गए
2015 में, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने पाया कि शहर के शैक्षणिक संस्थानों में यौन उत्पीड़न की शिकायतों की संख्या सबसे अधिक थी, जहां 2013 से 2015 के बीच तीन वर्षों की अवधि में 51 मामले दर्ज किए गए थे। यह उस अवधि के दौरान दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों में ऐसी शिकायतों का लगभग 50 प्रतिशत था। हाल ही में, कई मामलों ने जेएनयू को गहन जांच के दायरे में ला दिया है।
लगातार 12 दिनों तक परिसर में अनिश्चितकालीन हड़ताल
अप्रैल में, द्वितीय वर्ष की एक छात्रा ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से अपनी 'यौन उत्पीड़न' की शिकायत पर कथित 'निष्क्रियता' के बाद विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार को अवरुद्ध करते हुए लगातार 12 दिनों तक परिसर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की। पीड़िता और उसके समर्थकों को बाद में विरोध प्रदर्शन करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा दंडित किया गया। अक्टूबर में, 47 छात्राओं ने कैंपस में फ्रेशर्स पार्टी के दौरान हुए कथित यौन उत्पीड़न और हिंसा के बारे में आईसीसी के समक्ष एक संयुक्त शिकायत दर्ज कराई थी।
एक छात्रा का एक प्रोफेसर ने किया यौन उत्पीड़न
इसी तरह, अप्रैल में, जेएनयूएसयू ने दावा किया कि विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर चाइनीज एंड साउथ-ईस्ट एशियन स्टडीज की एक छात्रा का उसके प्रोफेसर ने यौन उत्पीड़न किया और उसकी शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण उसे कैंपस छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इन घटनाओं के कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और आइसीसी द्वारा शिकायतों के निपटान के तरीके पर सवाल उठे।

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