जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन को यूएपीए ट्रिब्यूनल ने घोषित किया गैरकानूनी, अलगाववादी गतिविधियों का आरोप
दिल्ली उच्च न्यायालय के यूएपीए ट्रिब्यूनल ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) को गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि जेकेआईएम अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है और भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष फैलाने में शामिल है। अदालत ने माना कि संगठन का उग्रवादी होना आवश्यक नहीं है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अध्यक्षता वाले गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) ट्रिब्यूनल ने जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) को गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। 3 सितंबर को जारी आदेश में न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि केंद्र सरकार के 11 मार्च 2025 के फैसले, जिसमें जेकेआइएम को यूएपीए 1967 की धारा 4(3) के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था। इसकी पुष्टि की जाती है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने माना कि यूएपीए की धारा 3(1) के तहत जेकेआइएम को गैरकानूनी संगठन घोषित करने की अधिसूचना को समर्थन देने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं। ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया कि संगठन का उग्रवादी होना आवश्यक नहीं है, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि उसकी गतिविधियां कानूनी दृष्टिकोण से गैरकानूनी हैं। यूएपीए ट्रिब्यूनल ने जांच के दौरान एकत्र की गई प्राथमिकियों और सामग्री के आधार पर पाया कि जेकेआईएम अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है और भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष फैलाने में शामिल रहा है।
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