Delhi Election 2025: दिल्ली की चुनावी राजनीति में है जाटों का दबदबा, इन 13 विधानसभा सीटों पर है मजबूत पकड़
दिल्ली की राजनीति में जाट मतदाताओं का खासा दबदबा है। सीमावर्ती इलाकों में इनकी अच्छी-खासी तादाद है। कई विधानसभा क्षेत्रों में ये निर्णायक भूमिका में हैं। भाजपा और आप दोनों ही पार्टियां इन्हें अपने पाले में करने की कोशिश में जुटी हैं। हम आपको दिल्ली की उन विधानसभा सीटों के बारे में बताएंगे जहां जाट मतदाताओं का दबदबा है और ये चुनाव परिणामों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में जाटों का विशेष महत्व है। यहां की सीमा हरियाणा के साथ लगती है। सीमावर्ती 225 गांवों में जाटों की अच्छी संख्या है। इस कारण कई विधानसभा क्षेत्रों में ये निर्णायक भूमिका में हैं। यहां के कुल मतदाताओं में इनकी हिस्सेदारी तो मात्र सात से आठ प्रतिशत है, लेकिन, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में इनकी संख्या अधिक होने से राजनीतिक अहमियत बढ़ जाती है।
यही कारण है कि सभी पार्टियां इन्हें अपने साथ जोड़ने के प्रयास में लगी हुई हैं। भाजपा और आप में इन्हें अपनी ओर खींचने की होड़ लग गई है। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इन्हें केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग कर भाजपा को घेरने का प्रयास किया है। भाजपा ने भी पलटवार कर पूछा है कि इसका प्रस्ताव आप सरकार ने केंद्र को क्यों नहीं भेजा?
कई इलाकों में 20-28 प्रतिशत तक जाट
दिल्ली के मुंडका, नरेला, बवाना, नांगलोई जाट, नजफगढ़, बिजवासन विधानसभा क्षेत्र में 20 से 28 प्रतिशत तक जाट हैं। मटियाला, रिठाला, उत्तम नगर, विकासपुरी, महरौली, किराड़ी, छतरपुर विधानसभा में भी निर्णायक स्थिति में हैं। माना जाता है कि जाट संगठित होकर मतदान करते हैं जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित होता है।
आप ने कैलाश गहलोत को जाट नेता के तौर पर आगे बढ़ाया
एक समय था जब इन क्षेत्रों में भाजपा की अच्छी पकड़ थी लेकिन, पिछले दो विधानसभा चुनावों में इन क्षेत्रों में आप ने जीत प्राप्त की थी। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के आठ और 2020 में नौ जाट विधायक जीते थे। पार्टी ने कैलाश गहलोत को जाट नेता के रूप में आगे कर मंत्री बनाया, लेकिन अब वह पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए हैं।
हरियाणा के जाट बहुल क्षेत्रों में बीजेपी की जीत
दो विधानसभा चुनावों में जाट बहुल विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन तो सही नहीं रहा लेकिन लोकसभा चुनावों में पार्टी ने इन सीटों पर अच्छी बढ़त बनाई थी। नगर निगम चुनाव में भी जाट बहुल वार्डों ने भाजपा का प्रदर्शन संतोषजनक रहा था। कुछ माह पूर्व पड़ोसी राज्य हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भी जाट क्षेत्रों में भाजपा ने जीत प्राप्त की है।
इससे भाजपा जाटों के दबदबे वाले क्षेत्रों को लेकर आशांवित है। पार्टी इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली रैली भी उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में हुई है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने दिल्ली देहात के लोगों से की मुलाकात
जाट व अन्य जातियों को अपने साथ जोड़ने के लिए भाजपा दिल्ली देहात व किसानों के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री पिछले एक पखवाड़े में दिल्ली देहात के लोगों से दो बार मुलाकात कर चुके हैं। दिल्ली देहात की समस्याओं और किसानों की परेशानी के लिए वह सीधे तौर पर आप सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
भाजपा ने प्रवेश वर्मा को उतारकर जाटों को लुभाने की कोशिश
उन्होंने आरोप लगाया है कि आप सरकार दिल्ली के किसानों को केंद्र की योजनाओं से वंचित रख रही है। मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर दिल्ली के किसानों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ देने की मांग कर चुके हैं। भाजपा ने केजरीवाल के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र प्रवेश वर्मा को टिकट देकर भी जाटों को लुभाने का प्रयास किया है।
इसे देखते हुए केजरीवाल ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर दिल्ली के जाटों से किए गए वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया है। उल्लेखनीय है कि जाटों को दिल्ली सरकार में आरक्षण मिलता है लेकिन केंद्र सरकार में इस लाभ से वंचित हैं। इसे केजरीवाल मुद्दा बनाने का प्रयास कर जाटों को अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
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