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    जंतर-मंतर रोड स्थित कोठी नंबर- 7 में लिखी गई थी कांग्रेस की तकदीर, आज अनजान नामों का है कब्जा

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 06:40 AM (IST)

    जंतर-मंतर रोड पर स्थित कोठी नंबर-7 भारतीय राजनीति के कई महत्वपूर्ण पलों की साक्षी रही है। हाल ही में यहाँ एक 85 वर्षीय महिला की संदिग्ध मौत से यह फिर चर्चा में है। स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस का मुख्यालय यहाँ स्थानांतरित हुआ था और जवाहरलाल नेहरू ने इंदिरा गांधी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। विभाजन और कानूनी विवादों के बाद आज भी यह इमारत अवैध कब्जे का शिकार है।

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    कोठी नंबर- 7 में लिखी गई थी कांग्रेस की तकदीर, आज अनजान नामों का है कब्जा

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कनॉट प्लेस स्थित जंतर- मंतर रोड पर बनी कोठी नंबर-7 भारतीय राजनीति के कई अहम मोड़ों का मूक गवाह है। हाल ही में इस कोठी में रह रही इंग्लैंड मूल की 85 वर्षीय महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने इसे एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।

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    यह इमारत सदियों का इतिहास समेटे हुए है। इस इमारत ने जवाहरलाल नेहरू के संघर्ष, कांग्रेस के विभाजन, पहले चुनाव में हार और नेतृत्व परिवर्तन जैसे कई ऐतिहासिक क्षणों को अपनी दीवारों में कैद कर रखा है।

    स्वतंत्रता के तुरंत बाद कांग्रेस ने अपना मुख्यालय इलाहाबाद के आनंद भवन से इसी कोठी नंबर-7 में स्थानांतरित किया था। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू अपना अधिकांश समय यहीं बिताने लगे थे।

    इसी ऐतिहासिक परिसर में 1959 में नेहरू के कहने पर इंदिरा गांधी को आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इंदिरा ने ही पार्टी को इस भवन का औपचारिक पट्टाधारक बनाया।

    वर्ष 1971 में पार्टी विभाजन के बाद इंदिरा- विरोधी कांग्रेस (संगठन) ने मूल पार्टी होने का दावा करते हुए इस पर कब्जा कर लिया, लेकिन 1977 की आम चुनाव से ठीक पहले मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली कांग्रेस का जनता पार्टी में विलय हो गया। देसाई ने तब सरदार पटेल स्मारक संस्थान ट्रस्ट का गठन कर इस इमारत को अपने अधीन करने की कोशिश की। हालांकि, इस बीच संपत्ति का हस्तांतरण कभी पूरा नहीं हो पाया।

    वर्ष 2000 तक में कानूनी दाव पेच और ट्रस्टियों के निधन के चलते सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने इमारत पर फिर से नियंत्रण पाने की कोशिश की, लेकिन तत्कालीन एनडीए सरकार और शहरी विकास मंत्री जगमोहन के सख्त रुख के कारण यह संभव नहीं हो सका। आज भी यह कोठी किस पार्टी को आबंटित की गई है। इसकी कोई जानकारी नहीं है।

    1977 की हार के बाद 24 अकबर रोड कांग्रेस का नया कार्यालय बन गया। 1980 में सत्ता में लौटने पर भी इंदिरा गांधी ने कोठी नंबर- 7 जंतर- मंतर रोड पर दोबारा दावा करने से इनकार कर दिया।

    आज भी इस कोठी पर लगे साइनबोर्डों पर जनता दल यूनाइटेड, अखिल भारतीय सेवा दल, ट्रस्ट का नाम अंकित है। जिसने इस ऐतिहासिक विरासत को एक अधूरे अध्याय के रूप में लुटियंस दिल्ली में छोड़ दिया है। ऐसे में यह ऐतिहासिक इमारत आज भी अवैध कब्जों का शिकार है।