संघ न होता तो देश के कई टुकड़े होते... बलबीर पुंज ने कहा- विभाजनकारी मानसिकता के विरुद्ध खड़ा है संघ
लेखक बलबीर पुंज ने कहा कि संघ विभाजनकारी मानसिकता के खिलाफ चट्टान की तरह खड़ा है। रतन शारदा ने संघ की उपेक्षा से अपेक्षा तक की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संघ ने 100 वर्षों में हिंदुओं को एकजुट करके दिखाया है। जागरण संवादी ने दिल्ली के लोगों के मन पर हिंदी की छाप छोड़ी।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। राष्ट्र सेवा व व्यक्ति निर्माण में तत्पर 100 वर्ष के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ पर विमर्श तेज है। उपेक्षा से समाज की अपेक्षा तक की यह यात्रा सहज नहीं थी। अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले स्वयंसेवकों व प्रचारकों की कई पीढ़ियां खप गईं।
लेकिन यह उसका अंत नहीं है, देश को विश्व में शीर्ष स्थान तक ले जाने को समर्पण व संघर्ष जारी है। जागरण संवादी के मंच का एक सत्र इस यात्रा और लक्ष्यों को समर्पित रहा। वरिष्ठ लेखक व पूर्व सांसद बलबीर पुंज ने कहा कि इस्लाम के नाम पर विभाजन के बाद बने पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए।
अगर संघ नहीं होता तो देश के भी कई टुकड़े हो गए होते। यह नहीं हो सका क्योंकि, विभाजनकारी मानसिकता के विरुद्ध संघ चट्टान की तरह खड़ा रहा है।
यही विभाजनकारी लोग नेपाल में हिंसक आंदोलन की तरह देश में भी संघर्ष की कामना कर रहे हैं कि ऐसा कुछ हुआ तो उन्हें भी कुछ मिल जाएगा। ये लोग पीढ़ियों से सत्ता का सुख लेते रहे हैं। लेकिन आज देश स्थिर है तो यह संघ के कारण है। उसने भारत का भाग्य बदलकर दिखा दिया।
वास्तविकता और धारणा के दो छोरे पर खड़े संघ को लेकर जब बात आई तो बलबीर पुंज ने कहा कि संघ तथा स्वयंसेवकों ने अपने लिए कुछ नहीं किया, जो किया देश के लिए किया।
संघ की ‘काम करो, लेकिन उसका जिक्र मत करो’ की नीति के चलते वामपंथी लेखकों ने संघ के बारे में जो लिखा उसे ही सच मान लिया गया। संघ के लक्ष्य गिनाते हुए उन्होंने बताया कि सबका विकास, समरस समाज, सबको न्याय और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान यह उसका लक्ष्य है।
लेखक व स्तंभकार रतन शारदा ने आरएसएस के 100 वर्षों में उपेक्षा से लेकर समाज की अपेक्षा तक की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब संघ की स्थापना हुई तो लोग विचारों पर हंसते थे कि हिंदुओं को कोई एकजुट नहीं कर सकता, लेकिन 100 वर्ष में संघ ने यह कर के दिखा दिया।
आज समूचा समाज संघ के पीछे खड़ा है तो यह इसलिए क्योंकि, केवल भाषणों से नहीं, उसने काम कर दिखाया। संघ को जानना है तो उसका आईना संस्थापक सरसंघचालक डाॅ. हेडगेवार का जीवन है।
मंच संचालन डीयू के प्रो. रवि प्रकाश टेकचंदाणी ने किया। इस मौके पर रतन शारदा की पुस्तक ‘आरएसएस: 360 डिग्री’ का विमोचन भी किया गया।
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