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    दिल्ली कोर्ट ने कुत्ते को पीटने वाले पुलिसकर्मी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश को बरकरार रखा

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 10:20 PM (IST)

    दिल्ली के जाफराबाद इलाके में तीन साल पहले एक आवारा कुत्ते को पीटने के मामले में पुलिस सब इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को सेशन कोर्ट ने सही ठहराया। कोर्ट ने रविंद्र की पुनरीक्षण अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि कुत्ते को पीटना आधिकारिक कर्तव्य नहीं है। घटना जनवरी 2022 की है जब रविंद्र ने कुत्ते को लाठी से पीटा था।

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    कोर्ट ने कुत्ते को पीटने वाले पुलिसकर्मी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश बरकरार रखा।

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। तीन साल पहले जाफराबाद इलाके में आवारा कुत्ते के काटने पर उसे लाठी से पीटने के मामले में दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर (घटना के वक्त एएसआइ थे) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को सेशन कोर्ट ने बरकरार रखा है।

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    प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुखविंदर कौर के कोर्ट ने एसआई रविंद्र कुमार की ओर से दायर पुनरीक्षण अर्जी को खारिज करते हुए आदेश में कहा कि कुत्ते को पीटना आधिकारिक कर्तव्य के अंतर्गत नहीं आता।

    जनवरी 2022 में जाफराबाद गली नंबर-44 में एक कुत्ते को पुलिसकर्मी द्वारा लाठी से पीटने का वीडियो सामने आया था। शिकायतकर्ता ने बताया था कि घटना 10 जनवरी 2022 को हुई थी। साथ ही दावा किया था कि गली से मोटरसाइकिल पर जाते वक्त रविंद्र को कुत्ते ने काट लिया था। इस पर उन्होंने कुत्ते को लाठी से पीट दिया।

    इस मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने फरवरी 2023 में पुलिसकर्मी के खिलाफ प्राथमिकी करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ रविंद्र ने पुनरीक्षण अर्जी दायर की थी। उनकी अर्जी कहा गया था कि कुत्ते के काटने पर उन्होंने आत्मरक्षा में उसे पीटा था।

    उनकी ओर से दलील दी गई कि कथित घटना उस समय हुई जब वह अपना आधिकारिक कर्तव्य निभा रहे थे और आवारा कुत्ते को कोई चोट नहीं आई थी। इंटरनेट मीडिया पर घटना का कथित वीडियो अधूरा है।

    पुनरीक्षण अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट कहा कि संबंधित सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा दी गई स्थिति रिपोर्ट और लोक शिकायत प्रकोष्ठ की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि जांच की आड़ में पुलिस ने स्थानीय निवासियों, शिकायतकर्ताओं और चिकित्सकों के बयान दर्ज किए, जो कि केवल अर्जी दायर करने वाले को बचाने के लिए किया गया प्रयास प्रतीत होता है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि रविंद्र की यह दलील कि आवारा कुत्ते को किसी प्रकार की गंभीर चोट नहीं आई या वह अपंग नहीं हुआ है, बिल्कुल भी स्वीकार योग्य नहीं है। क्योंकि पुलिस ने कुत्ते की मेडिकल जांच नहीं कराई।