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    आईटीबीपी भर्ती पेपर लीक में IIP के तीन निदेशक गिरफ्तार, वॉट्सएप पर वायरल हो गया था प्रश्नपत्र

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 02:42 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आईटीबीपी भर्ती पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्री’ (IIP) के तीन निदेशक भी शामिल हैं जिन्हें कोलकाता से पकड़ा गया। इन निदेशकों के अलावा आईआईपी के कंसल्टेंट और प्रिंटर को भी पकड़ा है। यह केस आईटीबीपी भर्ती कमांडेंट कुशल कुमार की शिकायत पर दर्ज किया गया था।

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    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्री के तीनों निदेशक गिरफ्तार।

    जागरण संवाददाता, दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (ईआर-2) ने आईटीबीपी भर्ती पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

    गिरफ्तार किए गए लोगों में कोलकाता स्थित ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्री’ (IIP) के तीन निदेशक अमिताव रॉय, जयदीप गोस्वामी और शुभेंदु कुमार पॉल हैं। इनके अलावा आईआईपी के कंसल्टेंट रोहित राज और प्रिंटर धर्मेंद्र को भी पकड़ा गया है।

    यह मामला थाना लोधी कॉलोनी के अंतर्गत दर्ज है। जिसकी शिकायत आईटीबीपी भर्ती के कमांडेंट कुशल कुमार ने दर्ज कराई थी।

    शिकायत में कहा गया था कि आईटीबीपी ने विभिन्न पदों की लिखित परीक्षा के लिए आईआईपी को टेंडर प्रक्रिया के तहत नियुक्त किया था। इसके तहत प्रश्नपत्र तैयार करने और प्रिंटिंग से लेकर ओएमआर शीट डिजाइन, पैकिंग और परीक्षा संचालन तक की पूरी जिम्मेदारी आईआईपी की थी।

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    10 जनवरी 2021 को कांस्टेबल (ट्रेड्समैन) पद के लिए देशभर के 13 शहरों में 81 केंद्रों पर 46,174 उम्मीदवारों की परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा शुरू होने से पहले ही प्रश्नपत्र वॉट्सएप पर लीक हो गया था।

    बाद में वॉट्सएप पर वायरल प्रश्नपत्र को असली पेपर से मिलाने पर उसकी पुष्टि हुई। आईटीबीपी की आंतरिक जांच में भी लीक की पुष्टि हुई, जिसके बाद मामला दर्ज हुआ।

    जांच के दौरान आईटीबीपी और आईआईपी से जवाब-तलब किया गया, दस्तावेज जब्त किए गए और कर्मचारियों से पूछताछ हुई।

    एक कर्मचारी ने खुलासा किया कि निदेशक अमिताव रॉय और उनके सहयोगी परीक्षा प्रक्रिया को किसी अन्य कंपनी को आउटसोर्स कर रहे थे। बार-बार नोटिस देने के बावजूद निदेशक जांच में शामिल नहीं हुए।

    क्राइम ब्रांच की विशेष टीम में शामिल इंस्पेक्टर उमेश सती, एसआई राहुल, हेड कांस्टेबल विकास और भूपेंद्र ने एसीपी कैलाश चंद्र शर्मा के निर्देशन और डीसीपी क्राइम की देखरेख में ऑपरेशन चलाकर 19 सितंबर को तीनों निदेशकों को कोलकाता से गिरफ्तार किया।

    20 सितंबर को आरोपियों को सीलदह, कोलकाता की अदालत में पेश कर 48 घंटे का ट्रांजिट रिमांड लिया गया। पूछताछ में कंसल्टेंट और प्रिंटर की भूमिका सामने आने पर 24-25 सितंबर की रात को रोहित राज और धर्मेंद्र को भी दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया।

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