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    Sheila Dikshit: दिल्ली को 'वर्ल्ड क्लास सिटी' में बदला, जानिए पूर्व CM शीला दीक्षित से जुड़ी दिलचस्प बातें

    Sheila Dikshit News शीला दीक्षित भारतीय राजनीति का वह चेहरा हैं जो किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। उनका जन्‍म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। जबकि शनिवार 20 जुलाई 2019 को दिल्‍ली में उनका निधन हो गया। उन्हें अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान दिल्ली को विश्व स्तरीय शहर में बदलने का श्रेय दिया जाता है। (Photo- INCIndia/Twitter)

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 20 Jul 2023 02:04 PM (IST)
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    Sheila Dikshit: दिल्ली को 'वर्ल्ड क्लास सिटी' में बदला (Photo- @INCIndia/Twitter)

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कांग्रेस की दिग्गज नेत्री और सबसे लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) की आज पुण्यतिथि है। उन्हें शासन के जटिल ढांचे के बावजूद अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान दिल्ली को "विश्व स्तरीय शहर" में बदलने का श्रेय दिया जाता है। वह 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के दौरान शीला दीक्षित एक कुशल राजनीतिज्ञ थीं।

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    उनके कार्यकाल में किए गए विकास के कामों को दिल्ली के लोग आज भी याद करते हैं। दिल्ली में कई परियोजनाएं उनके समय में ही शुरू की गईं जो अब पूरी हो रही हैं। उन्होंने दिल्ली में बड़े अस्पतालों का निर्माण, अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की पहल, बिजली का निजीकरण, एसी बसों का परिचालन और राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन सहित कई विकास के काम किए। उनके कार्यकाल में ही दिल्ली के एक बड़े हिस्से तक मेट्रो सर्विस पहुंच गई थी।

    दिल्ली में बनवाए करीब 70 फ्लाईओवर

    शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में करीब 70 फ्लाईओवर बनाए गए। इनमें 22 फ्लाईओवर राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान बनाए गए। जिन फ्लाईओवरों पर घंटों जाम लगता था, उन्हें सिग्नल फ्री कराया। एम्स, मुनीरिका, आईआईटी, नारायणा, अप्सरा बार्डर, गाजीपुर लालबत्ती, श्याल लाल कॉलेज चौक, पीरागढ़ी चौक, गोकलपुर- मीत नगर कुछ ऐसे फ्लाइओवर हैं, जिनके कारण दिल्ली में लगने वाले जाम से जनता को बड़ी राहत मिली। दीक्षित कैबिनेट में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे एके वालिया के मुताबिक एम्स, धौला कुआं, आउटर रिंग रोड और बारापुला में फ्लाईओवर की कल्पना दीक्षित के कार्यकाल के दौरान की गई थी।

    पुण्यतिथि पर याद की गईं शीला दीक्षित

    कांग्रेस नेत्री रहीं शीला दीक्षित का 20 जुलाई, 2019 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह 81 वर्ष की थीं। शीला दीक्षित की पुण्यतिथि पर आज उन्हें याद किया गया।

    दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी और उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल सहित अन्य नेताओं और पदाधिकारियों ने दिल्ली प्रदेश पार्टी कार्यालय में उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर सभी ने दिल्ली के विकास में उनके योगदान को भी सराहा और उनके कार्यों को याद किया।

    आइए आज हम आपको दिल्ली की अब तक की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बताते हैं जो आप शायद नहीं जानते होंगे।

    • दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट किया और इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की।
    • पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शीला दीक्षित के प्रशासनिक कौशल को स्वीकार किया और उन्हें संयुक्त राष्ट्र आयोग के भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रतिनिधि के रूप में नामित किया था।
    • उन्होंने 1984-1989 तक पांच वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
    • 1984 में वह राजीव गांधी की सरकार में मंत्री बनीं।
    • वह 1986-1989 के दौरान केंद्रीय मंत्री भी रहीं।
    • उन्होंने पहले संसदीय कार्य राज्य मंत्री और बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री के रूप में काम किया।
    • वर्ष 1990 में उन्हें और उनके 82 सहयोगियों को राज्य सरकार द्वारा 23 दिनों के लिए जेल में डाल दिया गया था, जब उन्होंने महिलाओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ अभियान चलाया था।
    • युवा महिला संघ की अध्यक्ष के रूप में, शीला दीक्षित ने दिल्ली में कामकाजी महिलाओं के लिए दो छात्रावास भी बनवाए थे।
    • वर्ष 2009 में उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज की गई थी जिसमें कहा गया था कि उन्होंने राजनीतिक विज्ञापन देने के लिए केंद्र सरकार से मिले 3.5 करोड़ रुपये का दुरुपयोग किया।
    • अगस्त 2013 में, उनके और अन्य लोगों के खिलाफ 2008 के विधानसभा चुनावों से पहले एक विज्ञापन अभियान के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग करने के आरोप में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
    • वर्ष 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के उन्हें 25,864 वोटों के अंतर से चुनाव हराया। इसके साथ ही राजधानी से उनकी पार्टी का सफाया हो गया।
    • उन्होंने 8 दिसंबर 2013 को इस्तीफा दे दिया था।
    • वह दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। वह 1998-2013 तक 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं और केरल की राज्यपाल भी रहीं।
    • उन्हें मार्च 2014 में केरल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन पांच महीने बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
    • उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जैसे - 2008 में जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा 'भारत की सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री', 2009 में एनडीटीवी द्वारा 'पॉलिटिशियन ऑफ द ईयर' और ऑल लेडीज लीग फॉर ऑउट स्टैंडिंग पब्लिक सर्विस द्वारा 'डेल्ही वुमेन ऑफ द डिकेड अचीवर्स अवार्ड 2013 से सम्मानित किया गया था।