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    AIIMS समेत इन रिसर्च सेंटर्स ने रचा इतिहास, 7 से आठ तरह के सर्वाइकल कैंसर की होगी पहचान

    एम्स नई दिल्ली और अन्य संस्थानों के सहयोग से सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए स्वदेशी एचपीवी किट विकसित की गई है। यह किट आम कैंसर पैदा करने वाले एचपीवी प्रकारों की पहचान कर सकती है और 97.7 से 98.9 प्रतिशत तक कारगर पाई गई है। यह किफायती तकनीक भारत जैसे देश के लिए उपयुक्त है। दुनिया भर में कैंसर से पीड़ित हर पांच में से एक महिला भारतीय है।

    By uday jagtap Edited By: Rajesh KumarUpdated: Wed, 23 Apr 2025 06:18 PM (IST)
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    एम्स की किट सात से आठ प्रकार के सर्वाइकल कैंसर की पहचान करेगी। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एम्स नई दिल्ली के समन्वय और एनआईसीपीआर नोएडा, एनआईआरआरएचसी मुंबई तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) के सहयोग से सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए एचपीवी किट तैयार की गई है।

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    97.7 से 98.9 फीसद तक कारगर

    इस किट के जरिए सात से आठ आम कैंसर पैदा करने वाले एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) प्रकारों की पहचान की जा सकती है। इस लिहाज से यह तकनीक किफायती होने के साथ ही भारत जैसे देश के लिए उपयुक्त भी है। स्वदेशी जांच किट को परीक्षणों में 97.7 से 98.9 फीसद तक कारगर पाया गया है।

    बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सीडी देशमुख ऑडिटोरियम में इस किट को लॉन्च किया गया। नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (इंडिया) की उपाध्यक्ष और एम्स के स्त्री रोग विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. नीरजा भटला ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित हर पांच में से एक महिला भारतीय है।

    बीमारी से 25 फीसदी मौतें भारत में

    इस बीमारी से सबसे ज्यादा 25 फीसदी मौतें भारत में होती हैं। उन्होंने बताया, इस बीमारी की जांच के लिए विजुअल इंस्पेक्शन विद एसिटिक एसिड (वीआईए), पैप स्मीयर टेस्ट और एचपीवी डीएनए टेस्टिंग जैसे तरीके लोकप्रिय हैं। लेकिन, ये सभी तरीके या तो महंगे हैं या फिर इनके लिए उच्च प्रशिक्षण की जरूरत होती है। डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के अनुसार 35 और 45 साल की उम्र में सिर्फ दो उच्च गुणवत्ता वाले एचपीवी टेस्ट ही पर्याप्त होंगे।

    साल 2030 तक का लक्ष्य

    इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 2030 तक 70 फीसदी पात्र महिलाओं की जांच का संकल्प लिया गया है भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया (जीसीआई) कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में जटिल समस्याओं के समाधान के लिए नवाचारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में यह किट तैयार की गई है।

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