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    असोला भाटी में दिखा दुर्लभ Flapshell Turtle का बच्चा, इस दुलर्भ प्रजाति के संरक्षण को लेकर प्रयासों को मिली सफलता

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 09:55 PM (IST)

    तुगलकाबाद के असोला भाटी अभ्यारण्य में भारतीय फ्लैपशेल कछुए का नवजात पाया गया है जो कछुआ संरक्षण प्रयासों की सफलता दर्शाता है। पर्यावरण मंत्री ने इसे उत्साहजनक बताया है। रेस्क्यू सेंटर में सुधार जैसे रेत की परतें जल स्तर का रखरखाव और हरियाली ने कछुओं के प्रजनन में मदद की है। यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित है।

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    दुलर्भ हो चुके भारतीय फ्लैपशेल कछुए का हैचलिंग यानी नवजात बच्चा। फोटो: एक्स पोस्ट @mssirsa

    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। तुगलकाबाद क्षेत्र स्थित असोला भाट्टी वन्यजीव अभयारण्य में भारतीय फ्लैपशेल कछुए का एक हैचलिंग (नवजात) देखा गया है।

    इसे कछुओं के प्रजनन और संरक्षण के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस उपलब्धि को इंटरनेट मीडिया पर साझा किया है।

    उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि दिल्ली के वन्य हृदय से उत्साहजनक संकेत हैं। असोला भट्टी के कछुआ तालाब में देखा गया कछुए का हैचलिंग हमारे संरक्षण अभियान की सफलता का संकेत है।

    बेहतर पारिस्थितिक परिस्थितियों के कारण इस मौसम में कछुओं का प्रजनन सफल रहा है। असोला भाट्टी वन्यजीव अभयारण्य ने एक बयान में कहा कि टर्टल रेस्क्यू सेंटर में सुधारों के कारण कछुओं के प्रजनन और विकास में सफलता मिली है।

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    इन सुधारों में रेत की परतें बिछाना, सूखे मौसम में जल स्तर बनाए रखना, जलीय घासों की वृद्धि जैसे प्रयास शामिल हैं। इसके अलावा तालाब के चारों ओर घनी हरियाली और ढलानदार किनारे बनाए गए हैं, जिससे कछुओं को घूमने में सहायता मिलती है।

    इससे कछुओं को अंडे सेने में सफलता मिली और उनके विकास में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। रेस्क्यू सेंटर कछुओं के पुनर्वास में अहम भूमिका निभा रहा है।

    बता दें कि भारतीय फ्लैपशेल कछुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के अंतर्गत संरक्षित हैं। इस प्रजाति को आइयूसीएन की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में रखा गया है।

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