जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र पर तोड़फोड़
1947-48 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की कब्र दक्षिणी दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के अधिकार क्षेत्र में आती है। ब्रिगेडियर उस्मान की जामिया विश्वविद्यालय में स्थित कब्र पर तोड़फोड़ को सेना ने गंभीरता से लिया है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर के पास स्थित शहीद ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की कब्र पर हुई तोड़फोड़ का मामला गरमा गया है। भारतीय सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सेना राष्ट्रीय नायक की कब्र की देखभाल करने में पूरी तरह सक्षम है। यह भी कहा गया है कि ब्रिगेडियर उस्मान एक राष्ट्रीय नायक हैं और सेना के वरिष्ठ अधिकारी उनकी कब्र की हालत देखने के बाद बेहद निराश हैं। बता दें कि 1947-48 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की कब्र दक्षिणी दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के अधिकार क्षेत्र में आती है। आरोप है कि यहां पर बनी ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र पर तोड़फोड़ की गई है। बताया जा रहा है कि महावीर चक्र से सम्मानित नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर उस्मान की जामिया विश्वविद्यालय में स्थित कब्र पर तोड़फोड़ को सेना ने गंभीरता से लिया है।
ब्रिगेडियर को कहा जाता है नौशेरा का शेर
25 दिसंबर 1947 को पाकिस्तानी घुसपैठियों ने जम्मू-कश्मीर के झंगड़ क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया था। फिर मार्च 1948 को नौशेरा और झंगड़ को भारतीय सेना ने दोबारा अपने कब्जे में ले लिया। इस दौरान हुए युद्ध में ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने उम्दा प्रदर्शन किया था, इसलिए उन्हें नौशेरा का शेर कहा जाता है। पाठकों को यह जानकारी हैरानी होगी कि तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार ने इस युद्ध में मात खाने के बाद उन पर 50,000 रुपये का इनाम रखा था। यह अलग बात है कि ब्रिगेडियर उस्मान 3 जुलाई, 1948 को झंगड़ क्षेत्र में ही मोर्चे पर देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए।
यूपी के आजमगढ़ जिले के रहने वाले थे उस्मान
नौशेरा के शेर नाम से मशहूर ब्रिगेडियर मुहम्मद उस्मान का जन्म आजमगढ़ जिले के बीबीपुर गांव में हुआ था। देशभक्ति का जज्बा बचपन से ही इनके खून में था। दरअसल, पिता खान बहादुर मुहम्मद फारूक पुलिस में अफसर थे तो मां जमीरून्निसां घरेलू महिला थी। इन्होंने उच्च शिक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हासिल की थी। सिर्फ 23 साल की उम्र में मुहम्मद उस्मान सैन्य अकादमी चले गए।
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