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    साइबर अपराधों की बाढ़, महिलाओं के विरुद्ध भी बढ़े अपराध; NCRB की 2023 की भयानक रिपोर्ट जारी

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 01:54 AM (IST)

    राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में साइबर अपराधों में 31.2% की वृद्धि हुई। अनुसूचित जनजातियों जातियों महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध भी बढ़े हैं। साइबर अपराध के मामले बढ़कर 86420 हो गए जिनमें धोखाधड़ी के मामले लगभग 70% थे। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामले सबसे अधिक थे। बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में भी वृद्धि हुई है।

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    साइबर अपराधों की बाढ़, महिलाओं के विरुद्ध भी बढ़े अपराध; NCRB की 2023 की भयानक रिपोर्ट जारी

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की तमाम कोशिशों के बावजूद साइबर अपराधियों पर लगाम नहीं लग पा रही है। साइबर अपराधों में 2022 की तुलना में 2023 में 31.2 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2023 की रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध अपराधों में 28.8 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि हुई है। अनुसूचित जातियों, महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध भी अपराध बढ़े हैं। जबकि हत्या के मामलों और वरिष्ठ नागरिकों के विरुद्ध अपराधों में मामूली कमी आई है। 

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    2023 में ये बढ़कर 86,420 हो गए

    एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में देशभर में साइबर अपराध से जुड़े 65,893 मामले दर्ज किए गए थे। 2023 में ये बढ़कर 86,420 हो गए। इनमें लगभग 70 प्रतिशत (59,526) मामले धोखाधड़ी के थे। इससे देश में साइबर अपराध के बढ़ते दायरे और अपराधियों के बढ़ते हौसले का अंदाजा लगाया जा सकता है।

    2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा का असर अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध बढ़े अपराधों में देखने को मिला है। अनुसूचित जातियों के विरुद्ध अपराधों में भी वृद्धि हुई है। इनके विरुद्ध 57,789 मामलों में सबसे ज्यादा 15,130 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए, दूसरे नंबर पर 8,449 मामलों के साथ राजस्थान है।

    शीलभंग करने के इरादे से हमले

    2023 में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के 4,48,211 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2022 में 4,45,256 और 2021 में 4,28,278 मामले दर्ज हुए थे। 2023 में सबसे अधिक अपराध पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (1.33 लाख मामले, 29.8 प्रतिशत) के थे। इसके बाद महिलाओं के अपहरण (88,605 मामले, 19.8 प्रतिशत) और शीलभंग करने के इरादे से हमले (83,891 मामले, 18.7 प्रतिशत) के थे। हालांकि, महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दर लगभग अपरिवर्तित (66.2 प्रति लाख) रही।

    आत्महत्या के मामले 0.3 प्रतिशत बढ़े 

    बच्चों के विरुद्ध बढ़ते अपराध भी चिंताजनक हैं। 2022 में बच्चों के विरुद्ध अपराध की दर 36.6 (प्रति एक लाख बच्चे में) थी, जो 2023 में बढ़कर 39.9 हो गई। बच्चों के विरुद्ध सबसे अधिक मामले अपहरण (45 प्रतिशत) और यौन अपराधों (38.2 प्रतिशत) से जुड़े थे। 

    आत्महत्या के मामले 0.3 प्रतिशत बढ़े हैं। ये 1,71,418 दर्ज किए गए। इनमें महाराष्ट्र में सर्वाधिक 22,687 और तमिलनाडु में 19,483 मामले दर्ज हुए। किसानों की आत्महत्या के 10,700 मामले दर्ज हुए। महाराष्ट्र में सर्वाधिक 38 प्रतिशत और कर्नाटक में 22.5 प्रतिशत मामले दर्ज हुए। 

    अपहरण के मामलों में 5.6 प्रतिशत की बढ़त

    बुजुर्गों के विरुद्ध अपराधों के कुल 27,886 मामले दर्ज हुए। अपहरण के मामलों में 5.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2022 के 1,07,588 के मुकाबले 2023 में ये 1.16 लाख दर्ज किए गए। हत्या के मामलों में 2.8 प्रतिशत की कमी आई है। ये 2022 के 28,522 की तुलना में 2023 में 27,721 दर्ज हुए।

    किशोरों के विरुद्ध अपराधों में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि

    किशोरों के विरुद्ध अपराधों में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिनकी संख्या 2023 में 31,365 रही। दिल्ली में इसकी दर प्रति एक लाख बच्चों पर 41 थी, जो देश में सबसे अधिक है। किशोर अपराध की दर भी बढ़कर 6.9 से बढ़कर 7.1 हो गई। सभी महानगरों में किशोर अपराधों की सबसे अधिक संख्या भी दिल्ली में दर्ज की गई, जहां कुल 2,278 घटनाएं हुईं।

    विभिन्न वर्गों के विरुद्ध अपराध

    वर्ग वृद्धि (%में) कमी 
    बुजुर्ग 2.3 0
    बच्चे 9.2 0
    महिला 0.7 0
    किशोर 2.7 0
    एसटी 28.8 0
    एससी 0.4 0

    (2022 की तुलना में 2023 में)

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