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    दिल्ली में रफ्तार का कहर: शाम 6 से 9 बजे के बीच सबसे अधिक रोड एक्सीडेंट, हर दिन 15 से अधिक हो रहे शिकार

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 12:40 AM (IST)

    दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। एनसीआरबी के अनुसार 2023 में 5715 दुर्घटनाएँ हुईं जिनमें 1457 लोगों की मौत हुई। शाम 6 से 9 बजे के बीच सबसे अधिक दुर्घटनाएँ हुईं। तेज़ गति और यातायात नियमों का उल्लंघन मुख्य कारण रहे। विशेषज्ञ स्पीड लिमिट का पालन करने और जागरूकता अभियान चलाने की सलाह देते हैं ताकि delhi road accident के मामलों को कम किया जा सके।

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    दिल्ली की सड़कों पर रफ्तार का कहर, प्रतिदिन 15 से अधिक हुए सड़क हादसों के शिकार

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर रफ्तार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 से 2023 के बीच शहर में सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में बढ़ोतरी हुई।

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    2022 में राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं के जहां 5,560 मामले थे, 2023 में यह बढ़कर 5,715 हो गए। यानी राजधानी में हर दिन औसतन 15 से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार बने। वर्ष 2023 में हुई 5,715 सड़क दुर्घटनाओं में 4,880 लोग घायल हुए और 1,457 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 1,339 पुरुष और 118 महिलाएं शामिल थीं। जबकि 4,880 घायलों 4,217 पुरुष और 663 महिलाएं थीं।

    नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2022 में दिल्ली में सड़क हादसों में कुल 5,182 लोग घायल हुए, जिनमें 4,512 पुरुष और 670 महिलाएं शामिल थीं। इनमें से 1,475 लोगों की मौत हुई, जिनमें 1,357 पुरुष और 118 महिलाएं थीं। ये आंकड़े दिल्ली की सड़कों पर सुरक्षा उपायों की गंभीर आवश्यकता को दर्शाते हैं।

    2022 और 2023 में तुलना करें तो वर्ष 2022 की तुलना में 2023 में सड़क दुर्घटनाएं तो बढ़ी पर घायल और मौत की संख्या में अपेक्षाकृत कमी आई। 2022 में जहां 5,182 लोग घायल हुए, 2023 में यह संख्या 4,880 रही।

    इनमें पुरुषों की संख्या 4,512 से घटकर 4,217 और महिलाओं की संख्या 670 से घटकर 663 हो गई। 2022 में 1,475 मौतें हुईं, जो 2023 में कम होकर 1,439 हो गईं। पुरुषों की मौतें 1,357 से घटकर 1,339 हुईं, जबकि महिलाओं की मौतें 118 पर स्थिर रहीं।

    हालांकि 2023 में घायलों और मौतों की संख्या में मामूली कमी आई, फिर भी आंकड़े सड़क सुरक्षा की चिंताजनक स्थिति को उजागर करते हैं।

    विशेष यह कि शाम छह बजे से नौ बजे के बीच सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जबकि दोपहर 12 से तीन बजे के बीच 821 और सुबह नौ से दोपहर 12 बजे तक 737 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। यानी जब ट्रैफिक का दबाव और लोगों की जल्दबाजी चरम पर होती है, तब दुर्घटनाओं का खतरा सबसे अधिक रहता है। इन सड़क दुर्घटनाओं का कारण वाहनों की तेज गति, रांग साइड, यातायात नियमों का पालन न करना और ट्रैफिक लाइट जंप रहा।

    रफ्तार पर लगाम जरूरी

    विशेषज्ञों के मुताबिक, बढ़ती आबादी, सड़कों पर वाहनों की संख्या और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। स्पीड लिमिट का सख्ती से पालन, ट्रैफिक पुलिस की निगरानी और जागरूकता अभियान ही इस संकट को कम कर सकते हैं।

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