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    Earthquake in Delhi: दिल्ली-एनसीआर में क्यों लगे भूकंप के तेज झटके? एक्सपर्ट ने बताई वजह

    By Agency Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Mon, 17 Feb 2025 01:25 PM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर में आज यानी सोमवार सुबह आए भूकंप (Earthquake) के झटकों से लोग सहम गए। अब यह कारण स्पष्ट हो गया है कि भूकंप क्यों आया। इस पर एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार सुबह आया भूकंप क्षेत्र की भूगर्भीय विशेषताओं में स्वाभाविक रूप से होने वाले बदलाव का परिणाम था न कि प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण।

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    सोमवार सुबह दिल्ली में आए भूकंप का कारण इन-सीटू मैटीरियल हेटेरोजेनेसिटी है। फाइल फोटो

    पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में आज यानी सोमवार सुबह आए भूकंप(Earthquake) के झटकों से लोग सहम गए। अब यह कारण स्पष्ट हो गया है कि भूकंप क्यों आया। इस पर एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार सुबह आया भूकंप क्षेत्र की भूगर्भीय विशेषताओं में स्वाभाविक रूप से होने वाले बदलाव का परिणाम था, न कि प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण।

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    लोगों को सुनाई दी आवाजें

    4.0 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र धौला कुआं के पास झील पार्क क्षेत्र में था और उथली गहराई के कारण, आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों ने आज सुबह धरती के हल्के हिलने के कारण तेज आवाजें सुनीं।

    ओ पी मिश्रा ने बताया वजह

    राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक ओ पी मिश्रा ने कहा, "उत्तर भारत का दिल्ली क्षेत्र अक्सर हिमालय और स्थानीय स्रोतों से क्रमशः दूर-क्षेत्र और निकट-क्षेत्र के भूकंपों से प्रभावित होता है। धौला कुआं क्षेत्र में 2007 में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था। हालांकि, इसका प्रभाव सोमवार के भूकंप जितना महसूस नहीं किया गया था क्योंकि यह 10 किलोमीटर की गहराई पर आया था।"

    भूकंपीय क्षेत्र IV में रखा गया है दिल्ली

    उन्होंने बताया कि भारत के भूकंपीय जोनिंग मानचित्र में दिल्ली को भूकंपीय क्षेत्र IV में रखा गया है, जो देश में दूसरा सबसे ऊंचा स्थान है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र हिमालयी भूकंपों जैसे 1803 में 7.5 तीव्रता वाले गढ़वाल हिमालय भूकंप, 1991 में 6.8 तीव्रता वाले उत्तरकाशी भूकंप, 1999 में 6.6 तीव्रता वाले चमोली भूकंप, 2015 में 7.8 तीव्रता वाले गोरखा भूकंप और हिंदुकुश क्षेत्र से कुछ मध्यम भूकंपों के कारण मध्यम से उच्च जोखिम वाली भूकंपीय गतिविधि के संपर्क में है।

    ओ पी मिश्रा ने बताया कि इस क्षेत्र में दर्ज स्थानीय भूकंपों में 1720 में 6.5 तीव्रता का दिल्ली भूकंप, 1842 में 5 तीव्रता का मथुरा भूकंप, 1956 में 6.7 तीव्रता का बुलंदशहर भूकंप और 1966 में 5.8 तीव्रता का मुरादाबाद भूकंप शामिल हैं।

    4.0 तीव्रता का भूकंप

    मिश्रा ने कहा, "सोमवार के भूकंप का केंद्र धौला कुआं के लेक पार्क में था, यह 4.0 तीव्रता का भूकंप था। यह 5 किलोमीटर की गहराई पर था, इसे उथली गहराई कहा जाता है, इसलिए लोगों ने इसका प्रभाव महसूस किया। इस क्षेत्र में पहले भी भूकंप आ चुके हैं और भूकंप विज्ञान की दृष्टि से यह कोई नया क्षेत्र नहीं है।"

    मिश्रा ने कहा, "इससे पहले 6 किलोमीटर के दायरे में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था, लेकिन यह 10 किलोमीटर की गहराई पर था। इसमें अंतर है। यह प्लेट टेक्टोनिक भूकंप नहीं था, यह इन-सीटू मटेरियल हेट्रोजेनिटी के कारण था, यह स्थानीय प्रभाव के कारण था।"

    इन-सीटू मटेरियल हेट्रोजेनिटी का मतलब है कि यह क्षेत्र में भूवैज्ञानिक विशेषताओं में भिन्नता के कारण हुआ था।

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