Move to Jagran APP

जेएनयू में हिंदी एमफिल प्रवेश परीक्षा में 800 में से महज चार पास, उठे सवाल

छात्रों का यह भी कहना है कि यह कैसे हो सकता है कि डीयू के गोल्ड मेडलिस्ट और जेएनयू से एमए करने वाले छात्र इस प्रवेश परीक्षा को पास न कर पाएं।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 27 Feb 2018 09:37 PM (IST)Updated: Tue, 27 Feb 2018 09:41 PM (IST)
जेएनयू में हिंदी एमफिल प्रवेश परीक्षा में 800 में से महज चार पास, उठे सवाल
जेएनयू में हिंदी एमफिल प्रवेश परीक्षा में 800 में से महज चार पास, उठे सवाल

नई दिल्ली [अभिनव उपाध्याय]। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का नाम भले ही शीर्ष क्रम में रखा जाता हो, लेकिन एमफिल हिंदी के प्रवेश परीक्षा परिणाम से यहां के शिक्षकों पर ही सवाल उठ रहे हैं।

loksabha election banner

प्रवेश परीक्षा में महज चार छात्र ही पास हुए हैं

जेएनयू से एमए करने वाले पिछले दो बैच के किसी भी छात्र ने यह प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। बताया जा रहा है कि 12 सीटों के लिए देश भर से 800 छात्रों ने आवेदन किया था, लेकिन प्रवेश परीक्षा में महज चार छात्र ही पास हुए हैं। साक्षात्कार के बाद अंतिम चयन होगा। परीक्षा परिणाम 24 फरवरी को जारी हुआ है। सभी कॉपियां जेएनयू के हिंदी के प्राध्यापकों ने ही जांची हैं।

परीक्षार्थी मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं

परीक्षार्थी मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। कई छात्रों ने कुलपति प्रो.एम जगदीश कुमार को एक ईमेल भी भेजा है, जिसमें मूल्यांकन प्रक्रिया को सार्वजनिक करने की बात कही गई है। छात्रों का यह भी कहना है कि यह कैसे हो सकता है कि डीयू के गोल्ड मेडलिस्ट और जेएनयू से एमए करने वाले छात्र इस प्रवेश परीक्षा को पास न कर पाएं।

प्रशासन सभी छात्रों के अंक वेबसाइट पर दे

डीयू के छात्र आशीष कुमार पांडेय ने बताया कि आवेदन के समय प्रशासन ने इस नियम का उल्लेख नहीं किया था कि अभ्यर्थी को 80 अंक में से न्यूनतम 40 अंक लाने होंगे, तभी उसे साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। अब जेएनयू के एक अधिकारी कह रहे हैं कि न्यूनतम योग्यता का पैमाना तय किया गया है, इस वजह से कम छात्र पास हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन सभी छात्रों के अंक वेबसाइट पर दे। आशंका है कि कॉपियों का सही मूल्यांकन नहीं किया गया है। जेएनयू के अधिकारियों से जब इस बाबत संपर्क किया गया तो उन्होंने इस विषय पर बात करने से मना कर दिया।

गलत मूल्यांकन पर शिक्षकों पर हुई थी कार्रवाई

जेएनयू में पहले भी छात्र प्रवेश परीक्षा में मूल्यांकन को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं। लगभग तीन साल पहले जब जेएनयू में प्रो.एसके सोपोरी कुलपति थे, उस समय उर्दू विभाग में बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए थे। छात्रों ने सवाल उठाया तो कुलपति ने इस संबंध में एक समिति बनाई। समिति ने 80 छात्रों को उत्तीर्ण माना और शिक्षकों पर कार्रवाई की बात कही। इसके बाद कुलपति ने उन शिक्षकों पर कार्रवाई की और यह निर्देश भी दिया कि ये शिक्षक पांच साल तक किसी भी प्रशासनिक पद पर कार्य नहीं करेंगे।

यह भी पढ़ें: 'पैडगर्ल' ने बनाया दोबारा इस्तेमाल होने वाला किफायती पैड, सफल हो रहा है प्रोजक्ट 'बाला'

यह भी पढ़ें: करोड़ों लोग करते हैं सफर, मेट्रो स्टेशनों पर मुफ्त पानी और शौचालय क्यों नहीं: हाई कोर्ट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.