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'पैडगर्ल' ने बनाया दोबारा इस्तेमाल होने वाला किफायती पैड, सफल हो रहा है प्रोजक्ट 'बाला'

दिल्ली की 22 वर्षीय 'पैडगर्ल' सौम्या डाबरीवाल ने एक ऐसा सेनेटरी पैड तैयार किया है, जिसे डेढ़ से दो वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 27 Feb 2018 07:17 PM (IST)Updated: Wed, 28 Feb 2018 07:26 AM (IST)
'पैडगर्ल' ने बनाया दोबारा इस्तेमाल होने वाला किफायती पैड, सफल हो रहा है प्रोजक्ट 'बाला'

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दिल्ली की 22 वर्षीय 'पैडगर्ल' सौम्या डाबरीवाल ने एक ऐसा सेनेटरी पैड तैयार किया है, जिसे डेढ़ से दो वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पूरी तरह पर्यावरण हितैषी है और उतना ही उपयोगी व सुरक्षित है, जितना कि एक बार इस्तेमाल में लाया जाने वाला सामान्य पैड। विशेष बात यह कि सौम्या महिलाओं और युवतियों को यह पैड मुफ्त में उपलब्ध करवा रही हैं। अब तक 15 से 16 हजार पैड वह बांट चुकी हैं।

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शुरू किया प्रोजेक्ट बाला

ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर लौटी सौम्या का ध्येय गरीब और पिछड़े ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को इस विषय में जागरूक करना है। बकौल सौम्या, माहवारी के दौरान अनेक महिलाएं अब भी कपड़े या अन्य उपायों को अमल में ला रही हैं। इससे होने वाले संक्रमण से उन्हें बचाया जा सकता है। इसलिए कुछ दोस्तों की मदद से मैंने प्रोजक्ट 'बाला' शुरू किया। हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड व आंध्र प्रदेश समेत करीब 10 राज्यों के दूर-दराज गांवों में भ्रमण कर महिलाओं को जागरूक करने में जुटी हूं।

अंधविश्वास में जकड़ा है समाज

यह कहते हुए सौम्या चिंतित हो जाती हैं कि अब भी पश्चिम बंगाल में माना जाता है कि माहवारी के दौरान महिलाओं पर भूत-प्रेत का साया रहता है। वहीं, हरियाणा व राजस्थान जैसे राज्यों के ग्रामीण इलाकों में उस दौरान महिलाओं को जमीन पर चटाई बिछा सोना पड़ता है।

ऐसे आया पैड का आइडिया

दोबारा इस्तेमाल होने लायक पैड बनाने और जागरूकता अभियान से जुड़ने के सवाल पर सौम्या बताती हैं कि वह 2013 में पढ़ाई के लिए ब्रिटेन गई थीं। स्टडी टूर के लिए अफ्रीकी देश घाना जाने को मिला। वहां उन्होंने माहवारी के दौरान महिलाओं और युवतियों में जागरूकता का अभाव देखा। महिलाएं की स्थिति देख इस विषय की गंभीरता का पहली बार अहसास हुआ। छुट्टियों में भारत आकर जब यहां नजर दौड़ाई तो स्थिति यहां भी विकराल ही थी। ऐसे में इस विषय पर काम करना शुरू किया। लक्ष्य रखा कि दोबारा इस्तेमाल किया जा सकने वाला सस्ता सेनेटरी पैड बनाना है।

मिली सफलता

सौम्या ने बताया कि काफी प्रयास के बाद जब दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले पैड को बनाने में सफलता मिली तो इससे उत्साहित होकर कॉलेज ने इस पर काम करने के लिए लॉर्ड रूट्स फंड मुहैया कराया। जब पैड बना तो इसका टेस्ट कराया, जिसमें पैड पूरी तरह सुरक्षित पाया गया। पैड के टेस्ट में पास हो जाने के बाद सौम्या ने दिल्ली की एक कंपनी से संपर्क किया जो पैड बनाने के लिए तैयार हो गई। सौम्या बताती हैं कि अब उनके इस अभियान को काफी सराहना और मदद मिल रही है।

ट्रेनों में भी हो पैड की उपलब्धता

2015 में 'मिस बॉलीवुड दिवा' का खिताब जीतने वाली बिहार की ऋचा सिंह भी अब 'पैडगर्ल' के नाम से जानी जाती हैं। ऋचा ने ट्रेनों में सेनेटरी पैड्स उपलब्ध कराने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई है। सोशल मीडिया पर छेड़ी गई मुहिम के बाद पीएमओ व रेल मंत्रालय ने ट्वीट कर इस दिशा में उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है। अब तक 100 से अधिक गांवों में जा चुकीं ऋचा महिलाओं-लड़कियों को माहवारी के दौरान सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करने को जागरूक कर रही हैं। उनकी योजना सहरसा में सेनेटरी पैड बैंक खोलने की है। अपना अनुभव साझा करते हुए ऋचा कहती हैं, माहवारी एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर स्वयं महिलाएं तक बात करने से कतराती हैं। बिहार के ग्रामीण इलाकों में यह समस्या गंभीर है।

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