वास्तव में ये चार महानता के नियम हमें समृद्ध बनाते हैं और संतुष्टि दे सकते हैं...
यदि आप सीखना चाहते हैं और आगे बढ़ने की ललक है तो आपको अवलोकन करना चाहिए और इन नियमों पर ध्यान देना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। महान उपलब्धि तभी प्राप्त होती है जब हम इन नियमों पर चलना जाने।
नई दिल्ली, जेएनएन। जीवन में नियमों की कमी नहीं। पर आप समय के साथ आगे बढ़ रहे हैं यह कैसे जानेंगे? कौन-से नियम हैं, जो आपको आगे बढ़ने में मदद करते हैं? यदि आप सीखना चाहते हैं और आगे बढ़ने की ललक है तो आपको अवलोकन करना चाहिए और इन नियमों पर ध्यान देना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। महान उपलब्धि तभी प्राप्त होती है, जब हम इन नियमों पर चलना जानते हैं। ये कुल चार नियम हैं, जो वास्तव में हमें समृद्ध बनाते हैं और संतुष्टि दे सकते हैं..,
पहला नियम: कम बोलिए
कम बोलना चाहिए। अपनी मेहनत और काम को बोलने का अवसर दें। आपको हमेशा सबको बताने की जरूरत नहीं कि आप क्या कर रहे हैं और आपकी योजना क्या है? आपको क्या पाना है? बस अपने परिणामों का इंतजार करें, वे आपके बारे में सब बता देंगे। लोग तब आपको अधिक सम्मान और आदर देते हैं, जब आपसे ज्यादा आपका काम बोलता है। आपने ऐसे महान लोगों के अपवाद कम ही देखें होंगे, जो अपनी उपलब्धि से अधिक बोलते हैं। कोई कैसे महान हो सकता है, यदि उसकी बातें उसके काम के बारे में बढ़-चढ़कर बोलती हों। जैसे उनके शब्द हैं वैसे उनके काम नहीं, तो यह महानता नहीं। यह तो अज्ञानता और अहंकार ही समझा जाएगा।
जीवन-सूत्र
दूसरा नियम : ज्यादा सुनिए
यदि आप सुन नहीं सकते तो आपके लिए कुछ नया सीखना कठिन हो सकता है। ज्यादा सुनें, ज्यादा बेहतर सुनें और खूब ध्यान से सीखने की कोशिश करें। आपको एक खास मकसद से सुनना है कि हमें कुछ सीखना है। सुनकर कुछ नया ज्ञान प्राप्त करना है। हम सब जीवन के छात्र हैं, इसलिए अच्छा छात्र हमेशा अच्छा श्रोता होता है। आपके भीतर वैसी ही जिज्ञासा होना चाहिए ताकि आप वह सब सीख सकें, नोटिस कर सकें जो दूसरे कम ही कर पाते हैं। यह अतिरिक्त देखने और नोटिस करने का गुण आपको औरों से अलग करेगा और आपकी प्रगति में मददगार होगा। दरअसल, आप वास्तव में हर किसी से सीख सकते हैं। आप महान से महान असफलता से और महान कामयाबी से भी सीख सकते हैं। ध्यान दें, बस आपको गौर से सुनना और सीखना है।
तीसरा नियम : संयमित रहें, त्वरित जवाब देने से बचें
संयमित जवाब हमेशा एक बेहतर जवाब होता है। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने की हड़बड़ी न हो। इसके लिए जरूरी है कि आप कभी अपनी भावनाओं को खुद पर हावी न होने दें। जीवन की अलग-अलग परिस्थितियों में आपको अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को अनुशासित रखना होगा। याद रखें, अनुशासन आपको शक्ति देता है और जहां भावनाओं को नियंत्रण में रखने की बात आती है, वहां अनुशासन का खास महत्व है। इस लिहाज से एक कथन भी है कि यदि जिंदगी में आप शांत और संयत रहना सीख सकें तो इससे बड़ी सीख दूसरी नहीं। हर परिस्थिति में आपको यह देखना है कि कैसे संयत रहें। आपकी प्रतिक्रिया किस तरह की होनी चाहिए, इस बारे में हमेशा ठहरकर सोचें। यदि आप अपनी भावनाओं को अनुशासित रखना नहीं सीख पाते तो आपके प्रतिद्वंद्वी इसका प्रयोग आपके खिलाफ कर ले जा सकते हैं।
चौथा नियम : अवलोकन करें, कुछ नया सीखते रहें
जितने करीब से आप चीजों को देखने-समझने की कोशिश करेंगे, उतनी ही बेहतर समझ बनेगी। जितनी बेहतर समझ होगी, आप उतना बेहतर निर्णय ले सकेंगे। इसलिए जिन्हें आप मानते हैं, जिनका आदर करते हैं, उनका गौर से अवलोकन करें। उन बातों या हुनर को देखने का प्रयास करें, जिन्हें आपको सीखना है और जिसमें महारत हासिल करनी है। उन सिद्धांतों को, जिनमें आप पारंगत यानी निपुण होना चाहते हैं, अवलोकन कर काफी कुछ सीख सकते हैं। आखिर में आपको यह नहीं भूलना है कि केवल जानकारी ही जरूरी नहीं। हमें उन पर अमल भी करना है।
-फीयरलेस मोटिवेशन डॉट काम से साभार/संपादित अंश
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