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    IIT दिल्ली की नई पहल 'जिज्ञासा' शुरू, प्रयोगशाला से आम जनता तक पहुंचेगा विज्ञान

    By uday jagtap Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Thu, 15 May 2025 05:50 AM (IST)

    आईआईटी दिल्ली ने विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए जिज्ञासा पहल शुरू की है जिसका उद्देश्य शोध को प्रयोगशालाओं से बाहर लाकर समाज से जोड़ना है। इसका पहला आयोजन जेसी बोस विश्वविद्यालय फरीदाबाद में हुआ। कार्यक्रम में प्रदर्शनी पैनल चर्चा और व्याख्यान के जरिए एआई व स्वदेशी तकनीकों पर संवाद हुआ। यह पहल विज्ञान और समाज के बीच पुल बनाकर जागरूकता और सहभागिता बढ़ाने का प्रयास है।

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    IIT दिल्ली की नई पहल 'जिज्ञासा' शुरू, प्रयोगशाला से आम जनता तक पहुंचेगा विज्ञान। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली ने वैज्ञानिक शोध को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल 'जिज्ञासा' शुरू की है। इस अभिनव प्रयास का उद्देश्य विज्ञान को प्रयोगशालाओं से बाहर निकालकर उन समुदायों तक पहुंचाना है, जिन्हें आमतौर पर उच्चस्तरीय शोध से दूर रखा जाता है।

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    आईआईटी दिल्ली के अकादमिक आउटरीच कार्यालय द्वारा शुरू की गई यह पहल न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं को बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान करती है, बल्कि विज्ञान को रोचक, सरल भाषा में समझाने का भी प्रयास करती है।

    एक अधिकारी ने कहा, "हमारा उद्देश्य है कि विज्ञान किताबों या प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहे, बल्कि आम लोगों की बातचीत और समझ का हिस्सा बने।" पहल का पहला आयोजन हाल ही में जेसी बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में हुआ। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था और भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की उपलब्धियों का जश्न मनाया गया।

    प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

    कार्यक्रम में आयोजित प्रदर्शनी ने दर्शकों का सबसे अधिक ध्यान खींचा, जहां छात्रों और शोधकर्ताओं ने पोस्टर और लाइव डेमो के माध्यम से अपने नवाचारों को प्रस्तुत किया।

    आईआईटी दिल्ली के प्रो. चेतन अरोड़ा ने बताया कि कैसे एआई अब केवल प्रयोगशालाओं की चीज नहीं रह गई है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन को आकार देने लगी है। कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण पैनल चर्चा भी हुई, जिसका विषय था 'एआई: मानव बुद्धि का प्रतिस्थापन या संवर्द्धन?' इस संवाद में विशेषज्ञों ने प्रौद्योगिकी के सामाजिक और नैतिक पहलुओं पर भी विचार किया।

    शोध और समाज के बीच संवाद की जरूरत

    आईआईटी दिल्ली के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के प्रो. मैथिली शरण ने भारत के परमाणु कार्यक्रम और स्वदेशी तकनीक की भूमिका पर व्याख्यान दिया। जेसी बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने कहा, "अनुसंधान का वास्तविक महत्व तभी है जब वह समाज में बदलाव ला सके।

    'जिज्ञासा' जैसी पहल इस दिशा में एक सेतु का काम करती है। 'जिज्ञासा' की यह पहल दर्शाती है कि विज्ञान का भविष्य केवल शोध में ही नहीं बल्कि उसके सामाजिक संवाद में भी निहित है।"

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