आईआईटी दिल्ली में खतरनाक और तेजी से फैलने वाले रोगाणुओं पर होगा शोध, बीएसएल-3 लैब की शुरुआत
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने बायोसेफ्टी स्तर-तीन (बीएसएल-तीन) अनुसंधान सुविधा शुरू की है। यह लैब खतरनाक रोगाणुओं पर सुरक्षित शोध के लिए है। स्टार्टअप्स और शोधकर्ता शुल्क देकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। मेडिकल डिवाइस को सीधे टेस्ट करने की सुविधा से हेल्थ-टेक इकोसिस्टम को आत्मनिर्भरता मिलेगी। 19 अगस्त को डिप्टी डायरेक्टर प्रो. अरविंद नेमा ने इसका उद्घाटन किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली ने बायोसेफ्टी स्तर-तीन (बीएसएल-तीन) रिसर्च सुविधा की शुरुआत की है। बीएसएल-तीन ऐसी लैब होती है, जहां खतरनाक और तेजी से फैलने वाले रोगाणुओं (पैथोजंस) पर सुरक्षित वातावरण में शोध किया जा सकता है।
खास बात यह है कि देश के बड़े शैक्षणिक संस्थानों में यह पहली बार हुआ है कि मेडिकल डिवाइस और चिकित्सीय उपाय (थेरेप्यूटिक्स) को सीधे स्तर-तीन पैथोजंस के साथ टेस्ट किया जा सकेगा।
आइआइटी दिल्ली प्रशासन के अनुसार इस नई सुविधा से अब स्टार्टअप्स, एमएसएमई और स्वतंत्र शोधकर्ता बिना अपनी प्रयोगशाला बनाए ही इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकेंगे और अपने उपकरण या दवाओं को सुरक्षित तरीके से टेस्ट कर पाएंगे।
यह नई लैब माइक्रोमाॅडल काॅम्प्लेक्स में बनाई गई है और इसे शोधकर्ताओं व स्टार्टअप्स को सुविधा शुल्क के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा। अब तक देश में मेडिकल डिवाइस को सीधे बीएसएल-तीन लैब के भीतर ले जाकर टेस्ट करना संभव नहीं था, लेकिन आईआईटी दिल्ली ने यह राह खोल दी है।
इस सुविधा का उद्घाटन 19 अगस्त को आईआईटी दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर (ऑपरेशंस) प्रो. अरविंद नेमा ने किया। इस अवसर पर फैकल्टी-इनचार्ज प्रो. संदीप के. झा, सीआरएफ प्रमुख प्रो. समीर सप्रा, प्रो. मणिदीपा बनर्जी, प्रो. नीतू सिंह और प्रो. अशोक के. पटेल भी मौजूद रहे।
प्रो. नेमा ने कहा कि यह लैब मेडिकल डायग्नास्टिक्स और थेरेप्यूटिक्स में रिसर्च और इनोवेशन को नई दिशा देगी और मेडिकल संस्थानों के साथ बड़े पैमाने पर सहयोग को आसान बनाएगी। प्रो. संदीप झा के अनुसार, इस सुविधा से हार्डवेयर और साफ्टवेयर इंजीनियर अपने सिस्टम और प्रोडक्ट को रियल टाइम में टेस्ट कर सकेंगे।
वहीं, प्रो. अशोक पटेल ने कहा कि पहले मेडिकल डिवाइस की टेस्टिंग के लिए कंपनियों को बीएसएल-तीन या बीएसएल-चार लैब्स पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे कार्य में देरी होती थी।
आईआईटी दिल्ली की यह पहल उस कमी को पूरा करेगी और भारतीय हेल्थ-टेक इकोसिस्टम को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम साबित होगी।
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