कोरोना संक्रमण कम हुआ तो आसफ अली रोड के पुस्तक बाजार में भी लौटी रौनक, जानिए क्या है खासियत
कई साहित्य प्रेमी झोला भरकर मुस्कराते पुस्तकों को ले जाते दिखे। पुस्तक प्रेमियों की यह मौजूदगी देखकर दुकानदारों के चेहरे खुशी से चमकते दिखे। वैसे बाजा ...और पढ़ें
नई दिल्ली [आशीष सिंह]। आसफ अली रोड स्थित महिला हाट में हर रविवार लगने वाले पुस्तक बाजार में रौनक लौट आई है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले काफी कम है। स्कूल-कालेज भी खुल गए हैं। इसका सीधा असर इस बाजार पर दिख रहा है। इस सप्ताह यहां आने वाले छात्रों और साहित्य के तलबगारों की संख्या काफी अधिक रहीं। गुनगुनाती धूप में लोग किताबों के इस संसार से अपनी पसंदीदा किताबें चुनते नजर आए। अधिक संख्या छात्रों की रहीं। दुकानदारों के मुताबिक कारोबार में 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
दरियागंज साप्ताहिक पुस्तक बाजार के नाम से यह देश-विदेश में लोकप्रिय है। साहित्य, चिकित्सा, इंजीनियर, विधि, पाक कला, धार्मिक, दर्शन के साथ स्कूल-कालेज व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी सभी तरह की पुस्तकें मिल जाती हैं। इसी तरह प्रेमचंद, धर्मवीर भारती, रस्किन बांड, चेतन भगत, मानव कौल, अमृता प्रीतम व शेक्सपीयर समेत ¨हदी, अंग्रेजी के मशहूर लेखकों के उपन्यास मिल जाते हैं। सेकेंड हैंड पुस्तकों का यह बाजार वर्ष 1964 से लग रहा है। इसके बारे में कहा जाता है कि जो पुस्तकें कहीं नहीं मिल पाती वे यहां मिल जाती हैं। इसके साथ ही यहां सबसे सस्ते रेट पर मिल जाती हैं। इसलिए विदेश से भी खरीदार आते हैं।
कोरोना की मार इस पर भी पड़ी। इसका खुलना नियमित नहीं है। अब जबकि तकरीबन दो वर्ष बाद स्कूल-कालेज व को¨चग संस्थान खुले हैं और इस बाजार को भी खोलने की अनुमति मिली है तो खरीदार भी लौटे हैं। इस रविवार सुबह से ही खरीदार पहुंचने लगे, दोपहर में पूरा बाजार पुस्तक प्रेमियों से गुलजार दिखा। कई छात्र लंबी लिस्ट लेकर किताबों की तलाश कर रहे थे। वहीं कई साहित्य प्रेमी झोला भरकर मुस्कराते पुस्तकों को ले जाते दिखे। पुस्तक प्रेमियों की यह मौजूदगी देखकर दुकानदारों के चेहरे खुशी से चमकते दिखे। वैसे, बाजार में 276 वेंडर हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए 150 लोगों को ही दुकान लगाने की अनुमति मिली है।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
दो साल बाद पहली बार हमारे कारोबार में तेजी आई है। हम भी स्कूल-कालेज खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। इससे पुस्तकों की मांग बढ़ी है। बाजार को भी अब सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक लगाने की अनुमति दे दी गई है। यहां कोरोना के नियमों का पालन किया जा रहा है।
-कमर सईद, अध्यक्ष, दरियागंज पटरी संडे बुक बाजार वेलफेयर एसोसिएशन
मैं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। काफी समय से दिल्ली आने की योजना थी, जो कोरोना की वजह से टल रही थी। अब मौका मिला तो पुस्तकें खरीदने आई हूं। यहां आकर अच्छा लग रहा है। सस्ती दरों में किताबें मिल जा रही है। अपने साथ दोस्तों के लिए भी किताब खरीद ली है।
-अनुष्का, देहरादून, उत्तराखंड
मेरे पिता भी पहले इस बाजार से किताब ले जाते थे। मैं भी अक्सर किताबें लेने आता हूं। पुस्तकों के इस महाकुंभ में आकर हमेशा अच्छा लगता है। आज कुछ किताबें और सैंपल पेपर लेने आया हूं।
-वैभव, नोएडा
कोरोना आने के बाद से पहली बार यहां आया हूं। जो किताबें आनलाइन खरीदने पर महंगी मिल रही थी, वो यहां सस्ते दामों में उपलब्ध है। इस बाजार में आना पुस्तक प्रेमियों के लिए सफल होता है।
-राहुल, न्यू अशोक नगर

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