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    'गर्भ संस्कार': गर्भवती महिलाएं गीता और रामायण पढ़ेंगी तो पैदा होंगे देशभक्त और संस्कारी बच्चे

    By Nimish HemantEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Sun, 11 Jun 2023 09:00 AM (IST)

    Garbh Sanskar Campaign अभियान के तहत देशभर में पांच क्षेत्र बनाए गए हर क्षेत्र में तैनात 10 डॉक्टर संस्कार दिलाएंगे। न्यास की न्यास की राष्ट्रीय संगठन ...और पढ़ें

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    'गर्भ संस्कार': गर्भवती महिलाएं गीता और रामायण पढ़ेंगी तो पैदा होंगे देशभक्त और संस्कारी बच्चे

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देशभक्त व संस्कारयुक्त भावी पीढ़ी के लिए राष्ट्रीय सेविका समिति द्वारा गर्भ संस्कार का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया जा रहा है। इसके माध्यम से गर्भवती महिलाओं का चिकित्सकों की देखरेख में संस्कार कराया जाएगा।

    गर्भवती महिलाएं गीता और रामायण पढ़ेंगी। राष्ट्रीय सेविका समिति के संवर्धिनी न्यास के इस अभियान का शुभारंभ रविवार को एक समारोह में तेलंगाना की राज्यपाल तमिलीसाई सौंदराराजन करेंगी।

    पूरे देश में लागू होगी योजना

    न्यास की न्यास की राष्ट्रीय संगठन सचिव माधुरी मराठे के अनुसार रविवार से इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाएगा। उनके अनुसार इसमें गर्भवती महिलाओं को धार्मिक ग्रंथ, जैसे भगवद्गीता और रामायण पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्हें मंत्रोच्चारण और योग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इससे जब उनकी संतान होगी तो वह देशभक्त और संस्कारी होंगे।

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    इसलिए इस अभियान के शुभारंभ के लिए मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी की मां जीजाबाई के 350 पुष्यतिथि वर्ष को चुना गया है। इसके पहले इस विषय पर अकादमी चर्चाओं, विमर्शाों और परिक्षणों का दौर भी चला है। माधुरी मराठे ने बताया कि अभियान की दृष्टि से पूरे भारत को पांच क्षेत्र में बांटा गया है।

    गर्भवती मां की सेहत पर रखी जाएगी नजर

    हर क्षेत्र में 10-10 चिकित्सकों द्वारा प्रत्येक वर्ष 10 से 20 गर्भ संस्कार कराने के साथ गर्भवती मां की सेहत पर नजर रखी जाएगी। इन चिकित्सकों में एलोपैथ व होम्योपैथ के आयुर्वेद की चिकित्सक होंगी। उनके द्वारा बच्चों के जन्म के बाद उसके विकास का भी अध्ययन किया जाएगा। इस तरह प्रत्येक वर्ष 700 से 800 महिलाओं का गर्भ संस्कार कराने का लक्ष्य है।

    धीरे-धीरे इस संस्कार अभियान को जिला स्तर पर ले जाया जाएगा। उनके अनुसार यह गर्भ संस्कार एक पवित्र और वैज्ञानिक पद्धति से गर्भावस्था के लिए तैयार किया गया है। इसके दो रूप हैं, जो चिकित्सकों को दिए गए हैं।

    इसमें वैज्ञानिक पद्धति से माता-पिता तथा परिजनों के साथ ही कोख में पल रहे बच्चे को संस्कृति और मूल्यों और इतिहास की जानकारी दी जाएगी। बच्चे के दो साल होने तक ऐसा किया जाएगा। इसके साथ ही महिलाओं और उनके परिजनों को अच्छे खाने और माहौल के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

    नार्मल डिलीवरी के लिए कराएंगे योग

    वैज्ञानिकों का मानना है कि चार महीने बाद से बच्चा गर्भ में सुनना शुरू कर देता है। इस वजह से परिवार सही समय में उससे बात कर सकते हैं।

    परिजन बच्चों को अपने परिवार, भारत, अपने राज्य, भारत के बड़े व्यक्तित्व के बारे में अपने संस्कृतियों के बारे में बताएंगे। महिलाओं को योगा सिखाया जाएगा, इससे डिलीवरी के दौरान उन्हें आराम मिलेगा। इससे नार्मल डिलीवरी की संभावना अधिक होगी।