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    दिल्ली में सोलर पैनल लगाकर किस तरह से हासिल कर सकते हैं लाभ, जानने के लिए पढ़ें- पूरी खबर

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Tue, 03 Nov 2020 01:59 PM (IST)

    Delhi Solar Panels Benefits राजधानी दिल्ली के सफदरजंग और कड़कउ़डूमा में विशेष मुहिम शुरू हुई है। सोलराइज कड़कड़डूमा और सोलराज सफदरजंग कार्यक्रम यदि सफल ह ...और पढ़ें

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    बीएसईएस ने उपभोक्ताओं के लिए नई योजना शुरू की है।

    नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Delhi Solar Panels Benefits: राजधानी दिल्ली में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बीएसईएस ने काउंसिल ऑफ एनर्जी एन्वायरमेंट एंड वाटर (Council of Energy Environment and Water) के सहयोग से सफदरजंग और कड़कउ़डूमा में विशेष मुहिम शुरू की है। सोलराइज कड़कड़डूमा और सोलराज सफदरजंग कार्यक्रम यदि सफल होता है तो इसे राजधानी दिल्ली के अन्य इलाके में भी लागू किया जाएगा। इस योजना में उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा से मिलने वाले लाभ बारे में जागरूक करने के साथ ही उन्हें सोलर रूफटॉप लगाने वाली एजेंसी की सेवा और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।

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    उपभोक्ताओं के बिजली बिल में आ रही है कमी

    बीएसईएस के बिजली वितरण क्षेत्र में 2800 से अधिक रूफटॉप सोलर संयंत्र को नेट मीटरिंग कनेक्शन से जोड़ा गया है जिससे 90 हजार किलोवॉट बिजली उत्पादन हो सकता है। सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वाले कई उपभोक्ताओं की ग्रिड की बिजली पर निर्भरता खत्म या काफी कम हो चुकी है। ग्रिड की बिजली कम उपयोग करने वाले कई उपभोक्ता दिल्ली सरकार की चार सौ यूनिट तक प्रति माह बिजली खपत करने पर मिलने वाली सब्सिडी का भी लाभ हासिल कर रहे हैं। वहीं, कई खुद के इस्तेमाल के बाद बची हुई बिजली को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (Delhi Electricity Regulatory Commission) द्वारा निर्धारित दर पर बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) को बेच सकते हैं। 1 किलोवॉट के रूफटॉप सोलर कनेक्शन से उपभोक्ता ग्रिड की बिजली की अपनी खपत में 90 से 120 यूनिट तक की कमी ला सकते हैं। 15 नवंबर, 2018 को यूएस-इंडिया क्लीन एनर्जी फाइनेंस टास्क फोर्स के तहत अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट और भारत के अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के बीच सौर ऊर्जा को बढा़वा देने के लिए समझौता हुआ था। बीएसईएस ने उसी समझौते के तहत नई योजना शुरू की है।

    राजधानी दिल्ली में सूर्य से बिजली बनाने की है अपार संभावनाएं

    ल्ली में सौर ऊर्जा की काफी संभावनएं हैं। दिल्ली सोलर पॉलिसी के मुताबिक यहां साल में करीब 300 दिन धूप खिलती है। यहां सोलर पैनल लगाने के लिए लगभग 31 वर्ग किलोमीटर की जगह उपलब्ध है। इतनी जगह में 2500 मेगावाॅट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सकता है।

    शैक्षणिक व धार्मिक स्थल हो रहे हैं सौर ऊर्जा से जगमग

    बीएसईएस का कहना है कि दक्षिण, पश्चिम, मध्य और पूर्वी दिल्ली में घरेलू उपभोक्ताओं के साथ ही शिक्षण संस्थानों व धार्मिक स्थलों, रेलवे स्टेशनों, जेल आदि में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा रहे हैं। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नालोजी, वसंत वैली स्कूल, डीपीएस- ईस्ट ऑफ कैलाश और बाल भारती पब्लिक स्कूल, लोटस टेंपल और श्री अरबिंदो आश्रम ने भी सोलर नेट मीटरिंग के कनेक्शन लिए हैं। मंडोली जेल, निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, टेरी, दिल्ली जल बोर्ड आदि भी सौर ऊर्जा से जगमग हो रहे हैं। आइपी एक्सटेंशन, द्वारका और पश्चिम विहार की कई आवासीय समितियों में भी सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं।

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