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    Delhi Zoo: फव्वारे में नाचेंगे हाथी राजा, बंदर और भालू खाएंगे खीरे; गर्मी आते ही जानवरों के खानपान में कई बदलाव

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 08 Apr 2025 06:44 PM (IST)

    दिल्ली की भीषण गर्मी से चिड़ियाघर के जानवर भी परेशान हैं लेकिन चिड़ियाघर प्रशासन ने जानवरों को गर्मी से बचाने के लिए कई खास इंतजाम किए हैं। शेर बाघ और तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवरों के बाड़ों में कूलर लगाए गए हैं और उनके खान-पान में भी बदलाव किया गया है। भालू और बंदरों को अब कम मात्रा में मांस और ज्यादा मात्रा में फल और सब्जियां दी जा रही हैं।

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    दिल्ली चिड़ियाघर जानवरों के लिए एक शांत क्षेत्र बन गया है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी की भीषण गर्मी ने इंसानों के साथ-साथ चिड़ियाघर के जानवरों को भी परेशान कर रखा है। लेकिन राहत की बात यह है कि राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिड़ियाघर) ने पशु-पक्षियों को गर्मी से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। शेर, बाघ और तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवरों के बाड़ों में कूलर लगाए जा रहे हैं।

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    ताकि उनका वातावरण ठंडा रहे। वहीं, चिड़ियाघर में जानवरों के खान-पान में भी बदलाव किया गया है। मांसाहारी जानवरों को गर्मी के हिसाब से कम मात्रा में मांस दिया जा रहा है।

    भालू और बंदरों के लिए खास इंतजाम

    भालू और बंदरों के लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं। जहां सर्दियों में उन्हें 100 ग्राम गाजर और रोटी दी जाती थी। वहीं अब गर्मियों में उन्हें 50 ग्राम चावल और खीरा दिया जा रहा है। इसके अलावा हाथियों के लिए एक बड़े तालाब में ठंडे पानी के साथ फव्वारे की व्यवस्था की गई है ताकि उन्हें गर्मी से राहत मिल सके।

    चिड़ियाघर में सिर्फ जानवरों के साथ-साथ पक्षियों का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। पक्षियों के लिए तालाबों में मछलियों की मात्रा कम कर दी गई है, ताकि वे हल्का खाना खा सकें। शाकाहारी जानवरों के आहार में बेलपत्र को शामिल किया गया है। वहीं, गुन्न और आंवला देना बंद कर दिया गया है।

    खोला गया स्नेक हाउस

    दिलचस्प बात यह है कि अक्टूबर से बंद पड़ा स्नेक हाउस एक अप्रैल से फिर से खुल गया है। यहां अजगर, कोबरा समेत कई सांपों के लिए एसी की व्यवस्था की गई है ताकि उन्हें ठंडा वातावरण मिल सके।

    चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. संजीत कुमार के मुताबिक, इस साल गर्मी ज्यादा पड़ने की संभावना को देखते हुए फव्वारे, छायादार बाड़े और भरपूर पेयजल की व्यवस्था पहले ही कर ली गई है। इसके अलावा जानवरों के बाड़ों में समय-समय पर छिड़काव भी किया जा रहा है ताकि उनके आसपास ठंडा वातावरण बना रहे।

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