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    Digital Arrest: साइबर अपराधी कैसे चुनते हैं शिकार? यहां से हो रही आपकी जासूसी; इस साल मिलीं 19 लाख से ज्यादा शिकायतें

    Digital Arrest डिजिटल दौर में साइबर क्राइम बढ़ गया है। ऐसे में आपको साइबर अपराधियों से सावधान रहने की जरूरत है। साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। ऑनलाइन ठगी का शिकार होने पर दिल्ली पुलिस साइबर यूनिट में अपनी शिकायत जरूर दर्ज कराएं। हमारी खास रिपोर्ट में जानिए साइबर क्राइम से कैसे बचें...

    By Rakesh Kumar Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 08 Dec 2024 10:39 AM (IST)
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    Digital Arrest: देशभर में साइबर फ्रॉड के मामले बढ़ रहे हैं। फोटो- जागरण ग्राफिक्स

    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। साइबर अपराध पिछले तीन-चार वर्षों में वैश्विक समस्या बन चुका है। भय, लालच व अज्ञानतावश बड़ी संख्या में लोग इसका शिकार हो रहे हैं। ठगी के शिकार लोगों की फेहरिस्त में उद्यमी-कारोबारी, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी से लेकर सरकारी कर्मचारी, पुलिस महकमे के लोग और बैंक अधिकारी तक हैं।

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    साइबर ठग किसी को नहीं छोड़ रहे हैं। समाज के हर वर्ग को चंगुल में ले रहे हैं। इनसे सतर्क रहने के लिए दैनिक जागरण के विशेष अभियान की पहली कड़ी में पढ़िए कि ठग आपको कैसे निशाना बना रहे हैं।

    साइबर अपराधियों ने ठगी के लिए कई स्तर पर जाल बुन लिया है। इसमें हैकर व सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों तक को शामिल किया है। ये मैसेज या एप परमिशन के माध्यम से लोगों के मोबाइल, लैपटाप व कंप्यूटर में सेंध लगाकर निजी जानकारियां उड़ा ले रहे हैं और उसका इस्तेमाल ठगी के लिए करते हैं।

    कस्टम अधिकारी बनकर भी बनाते हैं शिकार

    ठगी का शिकार तलाशने के लिए सबसे बड़ा जरिया डिजिटल मीडिया के विभिन्न मंच बन रहे हैं। यहां इनकी बड़ी टीम सक्रिय रहती है, जो प्रतिदिन लाखों प्रोफाइल का विश्लेषण करती है। उपभोक्ता द्वारा डाले गए पोस्ट, फोटो, वीडियो से ये साइबर अपराधी व्यक्ति का बैकग्राउंड व उसकी वित्तीय स्थिति का अंदाजा लगाते हैं। इसमें सबसे अधिक मामले निवेश के नाम पर और डिजिटल अरेस्ट के जरिये ठगी के आ रहे हैं।

    डिजिटल अरेस्ट में ये कभी कस्टम अधिकारी बनकर एयरपोर्ट पर पार्सल पकड़े जाने की बात करते हैं तो कभी ईडी अधिकारी बन मनी लॉड्रिंग के मामले में घेरते हैं। कभी सेक्सटार्शन में पुलिस अधिकारी बन वसूली करते हैं। इस वर्ष अब तक साइबर अपराध की देशभर से 19 लाख से अधिक शिकायतें आई हैं, जिनमें से 11 लाख लंबित हैं।

    साइबर ठगी के टॉप-10 केंद्र

    भरतपुर (राजस्थान), मथुरा (उत्तर प्रदेश), नूंह (हरियाणा), देवघर (झारखंड), जामताड़ा (झारखंड), गुरुग्राम (हरियाणा), अलवर (राजस्थान), बोकारो (झारखंड), कर्म तंड (झारखंड), गिरिडीह (झारखंड)।

    ये हैं ठगी के माध्यम

    • सेक्सटार्शन
    • ओएलएक्स
    • कस्टमर केयर
    • डिजिटल मीडिया
    • ओटीपी स्कैम
    • केवाईसी
    • बिजली बिल
    • कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर
    • लोन एप
    • मैट्रीमोनियल साइट आदि

    साइबर ठगी से बचने के लिए विशेषज्ञ के टिप्स

    पूर्व आइपीएस व संस्थापक फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन त्रिवेणी सिंह ने साइबर क्राइम से बचने के लिए निम्न उपाय सुझाए हैं-

    1. वेबसाइट का यूआरएल एचटीटीपीएस से शुरू हो रहा हो। प्राइमरी की जगह सेकेंडरी ई-मेल का उपयोग करें।
    2. पासवर्ड में अपर व लोअर केस, नंबर व स्पेशल कैरेक्टर हों, 45 दिन में बदलें।
    3. फ्री सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने से पूर्व वेबसाइट होस्टिंग का पता लगा लें।
    4. ऑनलाइन बैंकिंग का यूआरएल मैनुअली टाइप करें। अज्ञात ईमेल में आया अटैचमेंट या लिंक क्लिक न करें।
    5. आधिकारिक एप स्टोर से ही किसी एप को डाउनलोड करें।
    6. अनजान व्यक्ति के कहने पर रिमोट एक्सेस एप का प्रयोग न करें।
    7. शॉपिंग और बैंकिंग के लिए फ्री या असुरक्षित वाईफाई का प्रयोग न करें।
    8. अनजान नंबरों से प्राप्त वीडियो कॉल रिसीव न करें।

    फ्री ट्रेडिंग सीखने का ऑफर देकर उड़ाए 69 लाख

    कारोबार ठीक चल रहा था और कुछ निवेश करना था। इसी साल 13 मार्च को वाट्सएप पर एक कॉल आई। कॉलर ने खुद को मल्टीनेशनल कंपनी का डायरेक्टर बताया और निश्शुल्क शेयर ट्रेडिंग सीखने का ऑफर दिया। उन्होंने दो वाट्सएप ग्रुपों में जोड़ा, जिसके बाद रोज शाम को आठ बजे से शेयर ट्रेडिंग सिखाने के लिए एक घंटे की कक्षा चलने लगी।

    थोड़े दिन बाद रकम दोगुनी करने के लिए निवेश करने को कहा गया। ठगों ने एक एप बना रखा था। ठगों के कहे अनुसार उस एप के जरिये उनके बताए एप पर 69,10,000 रुपये लगा दिए। बाद में वे रुपये नहीं निकले तो ठगी का पता लगा। छह जून को साइबर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया।

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    पुलिस ने साइबर अपराधियों की तलाश की और करीब 36 लाख रुपया बैंक खातों में फ्रीज करवा दिया। इसके बाद बताया गया कि कोर्ट के आदेश के बाद यह रुपया मिल सकेगा। मैंने रुपये के लिए कोर्ट में केस डाला और कोर्ट ने इसे सौंपने का आदेश दिया है। अब रुपया मिलने का इंतजार है। साइबर ठगों की वजह से कारोबार प्रभावित हुआ। कोर्ट और पुलिस के चक्कर काटने पड़े। सावधानी ही बचाव है। - उद्यमी, बड़ी औद्योगिक क्षेत्र, सोनीपत

    दैनिक जागरण साइबर फ्रॉड व साइबर ठगों से अपने पाठकों को जागरूक करने के लिए 'लुटेरा ऑनलाइन: सतर्क रहें' नाम से जागरुकता अभियान चला रहा है। 'लुटेरा ऑनलाइन: सतर्क रहें' सीरीज का पार्ट-2 कल पढ़िए www.jagran.com पर...

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