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    Digital Arrest: चोरी से नौ गुना अधिक हो रही साइबर ठगी, इन दो तरीकों से आम लोग बन रहे ज्यादा शिकार

    digital arrest scams गौतमबुद्ध नगर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ठग डिजिटल अरेस्ट और शेयर बाजार में निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी कर रहे हैं। पुलिस ठगों को पकड़ने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक सरगना की पहचान नहीं हो पाई है। साइबर ठगों के नेटवर्क की पहुंच हर डिजिटल रूप से समृद्ध आम आदमी तक है।

    By Munish Kumar Sharma Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Sun, 08 Dec 2024 06:00 AM (IST)
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    Online fraud: साइबर ठगी का कहर गौतमबुद्ध नगर में बढ़ रहे हैं मामले।

    मुनीश शर्मा, नोएडा।Digital Arrest in Hindi: गौतमबुद्ध नगर में चोरी से आठ-नौ गुना तेजी से साइबर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। ठग पर्दे के पीछे छिप कर कहीं से भी साइबर ठगी कर रहे हैं। साइबर क्राइम थाना पुलिस ठगों को खाता देने वाले और ठगी में शामिल ठगों को जरूर दबोच रही है।

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    हर माह 10-12 साइबर ठग पकड़े भी जा रहे हैं लेकिन डिजिटल अरेस्ट और शेयर बाजार में निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले सरगना की पहचान और उन्हें पकड़ना पुलिस के अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

    साइबर अपराधी कौन हैं और कैसे दिखते हैं? इसकी सटीक जानकारी अभी गौतमबुद्ध नगर पुलिस के पास नहीं है लेकिन हर दिन हो रही साइबर ठगी की घटनाओं से अनुमान लगाया जा सकता है कि साइबर ठगों के नेटवर्क की पहुंच हर डिजिटल रूप से समृद्ध आम आदमी तक है।

    इन कारणों से हो रही साइबर ठगी की घटना

    इसका कारण इंटरनेट मीडिया के युग में लोगों की अधिकांश जानकारी सार्वजनिक होना है। जहां जिले में चोरी की वारदात लोगों के बंद घरों में होती है या ध्यान भटकने से होती हैं लेकिन साइबर ठगी की घटनाओं के होने में झांसा, लालच और डर जैसे कारण सामने आ रहे हैं।

    हर दिन एनसीआर में रहने वाले लोगों के पास औसतन दो तीन काल फर्जी आती हैं। जागरूकता के अभाव में जो इनके झांसे और लालच में आ जाता है। उसका खाता साफ हो ही जाता है। हालांकि डिजिटल अरेस्ट के मामले में मनी लांड्रिंग, हवाला, ड्रग्स जैसे केस का डर दिखाकर ठगी की जा रही है।

    पीड़ित साइबर क्राइम पोर्टल और साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराते हैं। पुलिस बैंक खाते और मोबाइल नंबर के आधार पर जांच करती है। बैंक, मोबाइल प्रदाता कंपनी व सर्विलांस की मदद से जानकारी जुटाती है।

    अधिकांश जांच में यहीं सामने आया है कि ठगी में मोबाइल नंबर किसी अन्य के नाम पर लिये सिम से, फोन काल पाकिस्तान से, वीपीएन नेटवर्क का उपयोग किया गया है। बैंक खाते उधार पर लिये गए थे।

    राजस्थान, हैदराबाद, एनसीआर में ठगी की धनराशि होटल स्टाफ, परीक्षा की तैयारी करने वाले, जरूरतमंद आदि को कमीशन देकर निकलवाई गई थी। विदेश सिम भेजने वाले, बैंक खाते देने वालों को पुलिस ने पकड़ा भी है।

    औसतन दस हजार मामले आ रहे सामने

    साइबर सेल पुलिस अधिकारियों की मानें तो पांच लाख रुपये से ऊपर की ठगी के मामले साइबर क्राइम थाने में दर्ज होते हैं जबकि पांच लाख रुपये से कम के मामले थाने के साइबर सेल पोर्टल पर शिकायत दर्ज होती है। इस साल साइबर क्राइम थाना गौतमबुद्ध नगर में 130 शिकायत दर्ज हो चुकी हैं जबकि जिले के थानों पर बनी साइबर सेल के वाद की संख्या मिलाकर आंकड़ा 10 हजार के पार बताया जा रहा है।

    पिछले साल भी करीब इतनी ही शिकायत दर्ज की गई थीं। डीसीपी साइबर सेल प्रीति यादव ने बताया कि पीड़ितों की तहरीर पर जांच के बाद शिकायत दर्ज की जाती हैं। टीम लगातार साइबर अपराधियों को पकड़ रही हैं। लोगों को साइबर क्राइम से बचने को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है।

    जिले में चोरी और साइबर ठगी के आंकड़े

    साल चोरी
    2024 1012
    2023 1186
    2022 1477
    2021 1495

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