Delhi Election: पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को मिला वोट का अधिकार, पहली बार दिल्ली चुनाव में करेंगे मतदान
Delhi Election 2025 पाकिस्तान से 300 से अधिक हिंदू शरणार्थी आए हैं जो 10 वर्षों से अधिक समय से भारत में रह रहे हैं। अब वह सभी पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान करेंगे। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत उन्हें भारतीय नागरिकता मिली है। इन मतदाताओं में मतदान को लेकर काफी उत्साह का देखा जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली।Delhi vidhan sabha Election 2025: एक ओर दिल्ली में अवैध रूप से रहते और गैर कानूनी तरीके से पहचान पत्र बनवाने वाले बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचानकर उनकी धरपकड़ का क्रम तेज है।
वहीं, 300 से अधिक पाकिस्तान से आए ऐसे हिंदू (Hindu refugees) हैं। जो 10 वर्ष से अधिक तक शरणार्थी रहते हुए कानूनी तरीके से भारत का नागरिक होकर दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ ही देश में पहली बार लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने जा रहे हैं।
वोट करने को लेकर वोटर्स में दिख रहा काफी उत्साह
मतदान को लेकर इन मतदाताओं में उत्साह का माहौल है। इनमें से कई युवा पहली बार अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करेंगे। 18 वर्ष के धर्मपाल ने नागरिकता मिलने के बाद मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन कर रखा है।
उत्साह से भरे धर्मपाल कहते हैं कि वह देश के बेहतर भविष्य के साथ नागरिकता के लिए शुक्रिया कहने के लिए मतदान करेंगे। वह जब पाकिस्तान से परिवार के साथ शरणार्थी के रूप में भारत आए थे तब उनकी उम्र छह-सात की रही होगी।
भारत की नागरिकता के साथ मजनू का टीला कैंप का एक हिंदू परिवार। जागरण
मजनूं का टीला में करीब 200 लोगों को नागरिकता मिल चुकी है तथा 100 अन्य ने आवेदन कर रखा है। जिन्हें नागरिकता मिल गई है, उन्होंने मतदान पहचान पत्र के लिए आवेदन कर रखा है।
कुछ लोगों को अभी भी आ रही ये दिक्कत
इसी तरह, आदर्श नगर में स्थित पाकिस्तान से आए हिंदुओं की बस्ती से नागरिकता मिलने के बाद करीब 100 लोगों के मतदान के लिए आवेदन हुए हैं। हालांकि, वहां आधार कार्ड में पते को लेकर समस्या आ रही है।
बस्ती के माधव दास बताते हैं कि लाेगों के आधार कार्ड में पते की गड़बड़ी आ रही है। इसके लिए उन लोगों ने कैंप लगाने का आग्रह किया हुआ है। वर्ष 2013 से अस्तित्व में आई इस बस्ती में कोई 1800 लोग रहते हैं।
इन लोगों को मिली नागरिकता
माधव दास कहते हैं कि यह गड़बड़ियां दूर हो जाएंगी और जब वे लोग मतदान करने जाएंगे तो किसी लाभ के लिए नहीं करेंगे, बल्कि सीएए के लिए धन्यवाद करेंगे। साथ ही इसलिए भी कि देश के नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्य को निभाए।
उनके परिवार के नौ सदस्यों को नागरिकता मिल गई है। नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) वह कानून है जो वर्ष 2019 में पारित हुआ, जिसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 2014 या उससे पहले से भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई को देश की नागरिकता देता है। इस वर्ष लोकसभा चुनाव के ठीक पहले मई में नागरिकता प्रमाणपत्र बांटने का क्रम शुरू हुआ।
मजनूं का टीला बस्ती के मुखिया सोनादास कहते हैं कि वह करीब 15 से 17 साल बाद मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके पूर्व उन्होंने पाकिस्तान में वर्ष 2008 में मतदान किया था। उसके बाद पाकिस्तान में हालात बिगड़े तो वह भारत में शरण लेने लगे।
वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी (PM Modi) व गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) उन जैसे पीड़ित लोगाें के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। इसलिए वह जीवन में एक बार उनसे मिलकर आभार जताना चाहेंगे।
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