आशा किरण गृह में कर्मचारियों का हुआ मोहभंग! 10 साल में 100 से ज्यादा कर्मियों ने छोड़ी नौकरी, सामने आई बड़ी वजह
साल 2010 में आशा किरण गृह के लिए 100 नर्सिंग ऑफिसर की अनुबंध आधार पर भर्ती हुए थे लेकिन आज की तारीख में केवल 17 नर्सिंग ऑफिसर बचे हैं बाकी नौकरी छोड़ कर जा चुके हैं।इसी तरह नियुक्ति के बाद 40 प्रतिशत एएनएम नौकरी छोड़ चुकी हैं। जानिए क्यों हो रहा है ऐसा? क्या है कर्मचारियों की मांग? पढ़िए पूरी खबर।

धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। मानसिक रूप से अशक्त लोगों की देखभाल के लिए राजधानी में बनाए गए आशा किरण समेत तीन गृहों में कार्यरत अनुबंध कर्मचारी व अधिकारी अपनी नौकरी से शायद 'खुश' नहीं हैं। शायद यही कारण है कि अधिकारी-कर्मचारी यहां से लगातार नौकरी छोड़ रहे हैं।
वर्ष 2010 में आशा किरण गृह के लिए 100 नर्सिंग ऑफिसर की अनुबंध आधार पर भर्ती हुए थे, लेकिन आज की तारीख में केवल 17 नर्सिंग ऑफिसर बचे हैं, बाकी नौकरी छोड़ कर जा चुके हैं।इसी तरह नियुक्ति के बाद 40 प्रतिशत एएनएम नौकरी छोड़ चुकी हैं।
13-14 साल बाद भी नहीं किया गया नियमित
कर्मचारियों का कहना है कि 13-14 साल के बाद भी उन्हें नियमित नहीं किया गया है, वे आज भी अनुबंध आधार पर काम कर रहे हैं। वेतन तक नियमित नहीं मिल पा रहा है।अब भी मार्च महीने के बाद वेतन नहीं मिला है।
रोहिणी सेक्टर-1 स्थित आशा किरण गृह की स्थापना में हुई थी। इसके बाद वर्ष 2010 व 2011 में अनुबंध आधार पर दो बड़ी भर्ती हुईं। 2010 में नर्सिंग ऑफिसर के 100 पद भरे गए, उस समय इनका वेतन 10 हजार रुपये तय किया गया।अगले साल नौ हजार रुपये प्रति माह वेतन पर 60 एएनएम नियुक्त हुईं।
83 नर्सिंग ऑफिसर नौकरी छोड़ कर जा चुके
विभागीय सूत्र बताते हैं कि बीते 14 साल के दौरान अलग-अलग समय में सौ में से 83 नर्सिंग ऑफिसर नौकरी छोड़ कर जा चुके हैं। इसी प्रकार नियुक्ति के बाद से 60 में से 26 एएनएम भी नौकरी छोड़ चुकी हैं।इसी दौरान अनुबंध के आधार पर 'हाऊस आंटी' पद पर 240 महिलाओं की भर्ती हुई थी, इनमें से 40 छोड़ कर जा चुकी हैं।
नौकरी के बाद भी दिया जा रहा था कम वेतन
इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने के बारे में दैनिक जागरण ने आशा किरण होम के कुछ कर्मचारियों से बात की। कर्मचारियों ने बताया कि 13-14 साल की नौकरी के बाद भी उन्हें बहुत कम वेतन दिया जा रहा है। इतनी लंबी नौकरी के बाद भी अब उन्हें 21 व 23 हजार वेतन ही मिल रहा है।
दूसरी बात, उन्हें अक्सर कई-कई महीने वेतन तक नहीं दिया जा रहा है।इस साल उन्हें मार्च महीने के बाद वेतन नहीं मिला है। चार महीने से बिना वेतन काम कर रहे हैं। उनके साथ ऐसा अक्सर होता है।कर्मचारियों ने बताया कि नियमित नौकरी के लिए कई बार आवाज उठाई, लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिल रहा
कर्मचारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार से वेतन लेने वाले कर्मचारियों में वही एकमात्र ऐसे कर्मी हैं, जिन्हें समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिल रहा है।यही एक बड़ी वजह है कि कर्मचारी नौकरी छोड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मांग को लेकर पिछले 10-12 वर्षों के दौरान उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री से लेकर समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को तीन दर्जन से अधिक पत्र लिखे जा चुके हैं।
लेकिन, अभी तक कुछ नहीं हुआ।कर्मचारियों का कहना है कि वे लोग दिनभर बीमार लोगों के बीच काम करते हैं।उन्हें भी बीमारी का खतरा है। इतने जोखिम में ड्यूटी के बावजूद सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं दे रही है।
दिल्ली में संचालित हैं तीन गृह
दिल्ली में तीन गृह संचालित हैं, इनमें सबसे बड़ा रोहिणी का आशा किरण गृह है। इसके अलावा नरेला में आशादीप और हरिनगर में आशा ज्याेति के नाम से है।आशा किरण गृह में इस समय 17 नर्सिंग ऑफिसर तैनात हैं। आशा किरण गृह में अनुबंध आधार पर नियुक्त 24 एएनएम कार्यरत हैं। आठ एएनएम आशादीप नरेला में और दो आशा ज्योति हरिनगर में तैनात हैं।
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