दिल्ली HC ने लक्जरी होटलों पर ऊंचे संपत्ति कर को बताया उचित, कहा-होटलों का वर्गीकरण भेदभावपूर्ण नहीं
दिल्ली उच्च न्यायालय ने संपत्ति कर की ऊंची दरों को उचित ठहराया है जो नगर मूल्यांकन समिति द्वारा प्रस्तावित की गई थीं। अदालत ने पांच सितारा होटलों की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि एमसीडी द्वारा लक्जरी होटलों पर ऊंची दर लगाना मनमाना नहीं है क्योंकि यह ग्राहकों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर किया गया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत नगर मूल्यांकन समिति (एमवीसी) द्वारा संपत्ति कर की ऊंची दरों की सिफारिशों को दिल्ली हाई कोर्ट ने उचित करार दिया है। कई पांच सितारा होटलों द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा लक्जरी होटल प्रतिष्ठानों पर संपत्ति कर की ऊंची दर लगाना मनमाना नहीं माना जा सकता है क्योंकि इसे प्रतिष्ठानों के ग्राहकों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
उच्च लागत पर बेहतर सुविधाएं
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने कहा कि लक्जरी होटल स्वेच्छा से स्टार मान्यता प्राप्त करने की कोशिश करते हैं, ताकि वे खुद को ऐसे वर्ग में स्थापित कर सकें जोकि धनी ग्राहकों को लक्षित करता है और उच्च लागत पर बेहतर सुविधाएं प्रदान करता है।
पीठ ने कहा कि ऐसे प्रतिष्ठानों पर उच्च संपत्ति कर दरें लगाने के पीछे एमसीडी की मंशा राजकोषीय बोझ को समान रूप से वितरित करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिक भुगतान करने की क्षमता रखने वाले लोग सार्वजनिक राजस्व में आनुपातिक रूप से योगदान दें।
नवंबर 2022 को स्वीकार कर लिया
पांच सितारा की रेटिंग को सात फरवरी 2022 से चार-सितारा के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है। सितंबर 2022 में एमवीसी-पांच ने एमसीडी को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी। जिसे आधिकारिक तौर पर चार नवंबर 2022 को स्वीकार कर लिया गया।
एमवीसी-पांच ने पांच सितारा और उससे ऊपर के होटलों के लिए यूजर फैक्टर-आठ की सिफारिश की, जबकि अन्य सभी प्रकार के होटलों के लिए यूजर फैक्टर-चार निर्धारित किया गया। इसके बाद 19 अप्रैल 2024 को एमसीडी ने एमवीसी-पांच की सिफारिशों को लागू किया, जोकि एक अप्रैल 2023 से लागू हुईं।
सामान्य इमारतों से अलग
याचिकाओं का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि स्टार रेटिंग के आधार पर होटलों का वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मनमानी या भेदभावपूर्ण नहीं है। अदालत ने कहा कि उच्च-स्तरीय लक्जरी होटलों के रूप में संचालित ये इमारतें सहित भव्य बैंक्वेट हाल, स्पा, बढ़िया भोजनालय, कंसीयज सेवाएं जैसी भव्य सुविधाओं के कारण सामान्य इमारतों से अलग करती हैं।
पीठ ने कहा कि डिजिटल युग में, इस तरह के वर्गीकरण की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि मेकमाईट्रिप, गो-आइबीबो, अगोडा जैसे इंटरनेट प्लेटफार्म होटलों को अलग-अलग वर्गीकरणों के तहत दर्शाते और अलग करते हैं। इनमें पांच सितारा होटल की श्रेणी को अलग से दर्शाया और हाईलाइट किया जाता है।

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