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    कस्टडी के मामलों में बच्चे का कल्याण सर्वोपरि, यह कहकर हाई कोर्ट खारिज की पिता की याचिका

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 05:34 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चे की स्थायी कस्टडी की मांग कर रहे पिता की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि बच्चे का कल्याण सबसे महत्वपूर्ण है न कि माता-पिता के अधिकार। अदालत ने यह भी कहा कि केवल वित्तीय कारणों से व्यवस्था बदलना उचित नहीं है। पारिवारिक न्यायालय ने बच्चे से बात करने के बाद पाया कि वह अपनी मां के साथ सुरक्षित है।

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    कस्टडी के मामलों में बच्चे का कल्याण सर्वोपरि: हाई कोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बच्चे की स्थायी कस्टडी की मांग वाली पिता की याचिका पर हाई कोर्ट ने कहा कि बाल संरक्षण के मामलों में माता-पिता के व्यक्तिगत अधिकार के बजाय नाबालिग का कल्याण सर्वाेपरि है। इसमें इस बात का समग्र मूल्यांकन होना चाहिए कि कौन सी व्यवस्था बच्चे के शारीरिक, भावनात्मक, नैतिक और शैक्षिक कल्याण के लिए सर्वोत्तम होगी।

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    न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल व न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने कहा कि जहां एक कम उम्र का बच्चा एक स्थिर वातावरण में रहते हुए पाया जाता है। वहां केवल दूसरे माता-पिता की वित्तीय या भौतिक श्रेष्ठता के आधार पर ऐसी व्यवस्था को बाधित करना बच्चे के हित में नहीं होगा।

    नाबालिग बेटे की स्थायी कस्टडी की मांग

    अदालत ने उक्त एक व्यक्ति की अपने नाबालिग बेटे की स्थायी कस्टडी की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए की। याचिका पिता ने अपने बच्चे की चिकित्सा आवश्यकताओं और समग्र कल्याण की चिंता का हवाला देते हुए दावा किया कि वह और उसका परिवार उसे एक स्थिर और सुरक्षित पालन-पोषण प्रदान करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।

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    हालांकि, उक्त तर्काें से असहमती जताते हुए पीठ ने कहा कि यह दोहराया जाना चाहिए कि कस्टडी के मामलों में नाबालिग बच्चे का कल्याण ही सर्वोपरि है। इसकी कसौटी प्रतिवादी माता-पिता के व्यक्तिगत अधिकार या प्राथमिकताएं नहीं हैं।

    बच्चा मां के साथ ज्यादा सुरक्षित

    हालांकि, माता-पिता की वित्तीय क्षमता या स्थिरता एक प्रासंगिक विचार हो सकता है, लेकिन यह अकेले बच्चे के कल्याण की व्यापक जांच को ग्रहण नहीं कर सकता। पीठ ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय ने कस्टडी के दावे पर निर्णय देते समय, बच्चे के कल्याण पर उचित विचार किया था और बच्चे के साथ बातचीत करने के बाद निष्कर्ष निकाला था कि वह मां की देखभाल और संगति में सहज है।

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