दिल्ली हाई कोर्ट का मनी लांड्रिंग मामले में अहम फैसला, दो टूक में कहा- आरोपी को भी दें सुनवाई का मौका
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मनी लांड्रिंग मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए विशेष अदालत के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी को सुनवाई का मौका दिए बिना ईडी की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता। न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को आरोपी को सुनवाई का अवसर देने का निर्देश दिया जिससे अभियुक्तों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मनी लाड्रिंग मामले में एक अभियुक्त की याचिका को खारिज करने वाले विशेष न्यायाधीश के आदेश को रद करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालत अभियुक्त को सुनवाई का अवसर दिए बिना प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर शिकायत पर संज्ञान नहीं ले सकती।
अभियुक्त की याचिका पर न्याायमूर्ति रविंद्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि विशेष अदालत मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत दायर अभियोजन शिकायत पर बीएनएसएस की धारा 223 की उपयोगिता को समझने में विफल रहा।
याचिकाकर्ता अभियुक्त ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023 की धारा 223 के प्रविधान के अनुसार धन शोधन मामले में संज्ञान-पूर्व सुनवाई की मांग की गई थी।
कुशल कुमार अग्रवाल बनाम ईडी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि अभियुक्त को सुनवाई का अवसर दिए बिना संज्ञान नहीं लिया जा सकता। याचिकाकर्ता आरोपित लक्ष्य विज की याचिका स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद कर दिया।
पीठ ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह बीएनएसएस की धारा 223 के प्रविधान के अनुसार संज्ञान लेने से पहले उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि अगर याचिकाकर्ता द्वारा कोई जमानत आवेदन दायर किया जाता है तो ट्रायल कोर्ट उसके तथ्यों के आधार पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।