SC: पत्नी को 1.25 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता देने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश, एक साल में देनी होगी रकम
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अलग रह रहे दंपती के बीच विवाह को भंग कर दिया और व्यक्ति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता के तौर पर 1.25 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया। इसके साथ ही तलाक देने के लिए इसे उपयुक्त मामला मानते हुए पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने असाधारण अधिकारों का उपयोग किया।

पीटीआई, नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अलग रह रहे दंपती के बीच विवाह को भंग कर दिया और व्यक्ति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता के तौर पर 1.25 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया।
पति ने मार्च 2017 में पुनर्विवाह कर लिया था
तलाक देने के लिए इसे उपयुक्त मामला मानते हुए, पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने असाधारण अधिकारों का उपयोग किया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि यह युगल 2010 से अलग रह रहा था और पति ने मार्च 2017 में पुनर्विवाह कर लिया था।
पीठ ने कहा कि हम पार्टियों के बीच कानूनी संबंध को जारी रखने का कोई उद्देश्य नहीं देखते। विवाह अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुका है।
भरण-पोषण के रूप में एकमुश्त राशि उचित
शीर्ष न्यायालय ने महिला और उनके बेटे को स्थायी भरण-पोषण के रूप में एकमुश्त राशि देने को भी उचित समझा। कोर्ट के सामने यह बात आई कि पति ने कानूनी लड़ाई के वर्षों के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की।
राशि पांच समान तिमाही किस्तों में दी जाए
पीठ ने कहा कि हम अपीलकर्ता को 1.25 करोड़ रुपये का स्थायी भरण-पोषण देने का निर्देश देते हैं। यह राशि पांच समान तिमाही किस्तों में दी जाए।
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