'अरविंद केजरीवाल को आवास आवंटन में अधिकारी नहीं कर सकते मनमानी', संयुक्त सचिव दिल्ली हाई कोर्ट में तलब
दिल्ली हाई कोर्ट ने आप की याचिका पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई और मंत्रालय के सचिव को पेश होने का निर्देश दिया। अदालत ने आवास आवंटन में देरी पर नाराजगी जताई और पूछा कि आवंटन की क्या प्रक्रिया है। अदालत ने यह भी कहा कि बंगलों के आवंटन में विवेकाधिकार का प्रयोग कैसे किया जाता है इस मुद्दे से अदालत चिंतित है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए आवास आवंटित करने की मांग से जुड़ी आम आदमी पार्टी की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार की खिंचाई की।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने आवंटन में देरी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आवास का आवंटन पूरी तरह से अधिकारियों की मनमानी पर आधारित नहीं हो सकता।
उक्त टिप्पणी के साथ पीठ ने केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव और संपदा निदेशालय के निदेशक को 25 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया।
पीठ ने बंगला आवंटन मामले में विवेकाधिकार के प्रयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि अदालत इस बड़े मुद्दे से चिंतित है कि बंगलों के आवंटन में विवेकाधिकार का प्रयोग कैसे किया जाता है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि क्या आवास आवंटन की कोई प्रक्रिया मौजूद है? और अगर है तो अदालत इसे देखती चाहती है कि अतीत में इस प्रक्रिया को कैसे लागू किया गया है।
ऐसे मामले में प्राथमिकता को कैसे ध्यान में रखा जाता है और आवंटन का क्रम क्या है? अदालत ने कहा कि एक पारदर्शी व्यवस्था होनी चाहिए और यह पूरी तरह से आपकी मनमानी पर आधारित नहीं हो सकता।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि 35 लोधी स्टेट स्थित टाइप-आठ बंगला को आवंटित करने का आप ने प्रस्ताव दिया था, लेकिन 24 जुलाई को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को आवंटित किया गया है।
बृहस्पतिवार को मामले पर सुनवाई के बाद अदालत ने निर्देश दिया कि आवासीय आवंटन के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई मौजूदा नीति को एक हलफनामे में रिकार्ड पर लाया जाए।
इसमें यह बताया जाए कि अतीत में किए गए आवंटनों और नीति को कैसे लागू किया गया। 16 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई पर भी अदालत ने केंद्र की खिंचाई की थी।
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