स्कूल के दबाव पर बंद हो गई थी Autism से पीड़ित बच्ची की पढ़ाई, याचिका पर हाई कोर्ट ने दिया ये महत्वपूर्ण फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल को आटिज्म से पीड़ित बच्ची को कक्षा एक में दाखिला देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि समावेशी शिक्षा का उद्देश्य केवल शिक्षा तक पहुंच नहीं बल्कि हर बच्चे को ‘अपनापन’ महसूस कराना है। कोर्ट ने स्कूल को दो सप्ताह के भीतर दाखिला देने और शैडो टीचर की अनुमति देने का निर्देश दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी के जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल को ऑटिज्म से पीड़ित एक बच्ची को कक्षा एक में दाखिला देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि Inclusive Education का उद्देश्य केवल शिक्षा तक पहुंच देना ही नहीं बल्कि ‘अपनापन’ सुनिश्चित करना भी है।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा, यह दोहराने की जरूरत नहीं कि समावेशी शिक्षा यानी Inclusive Education का तात्पर्य सिर्फ दाखिले से नहीं है, बल्कि यह महसूस कराना है कि हर बच्चे की कक्षा में जगह है।
सिब्लिंग क्लाॅज के तहत मिला था स्कूल में दाखिला
याचिका के अनुसार, बच्ची का जन्म मई 2017 में हुआ था और नवंबर 2019 में ऑटिज्म की आशंका के बाद उसका इलाज शुरू हुआ, जो कोविड के कारण बाधित हो गया।
शैक्षणिक सत्र 2021-22 में उसे “सिब्लिंग क्लाॅज” के तहत स्कूल में दाखिला मिला। स्कूल को उसके बोलने में दिक्कत के बारे में पहले ही सूचित किया गया था।
दिसंबर 2021 में बच्ची में हल्के ऑटिज्म की पुष्टि हुई और थेरेपी की सिफारिश की गई। अप्रैल 2022 में जब ऑफलाइन कक्षाएं शुरू हुईं तो माता-पिता ने स्कूल से “शैडो टीचर” या स्पेशल एजुकेटर की अनुमति मांगी।
स्कूल के दबाव बनाने से बंद हो गई बच्ची की पढ़ाई
याचिका में आरोप है कि स्कूल के सहयोग न करने और दबाव के कारण जनवरी 2023 से बच्ची की पढ़ाई बंद हो गई। कोर्ट ने कहा कि न्याय के हित में बच्ची को स्कूल में फिर से पढ़ाई का अवसर दिया जाना चाहिए।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि बच्ची को कक्षा एक या उसकी आयु के अनुरूप कक्षा में फीस चुकाने वाले छात्र के रूप में दो सप्ताह के भीतर दाखिला दिया जाए। साथ ही, बच्ची को माता-पिता द्वारा नियुक्त शैडो टीचर के साथ स्कूल आने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट ने दिल्ली शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया कि बच्ची के पुनः दाखिले और समावेशी वातावरण को सुनिश्चित किया जाए ताकि उसके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो और उसे कानून के अनुसार पूर्ण सहयोग मिले।
विशेष पाठ्यक्रम की मांग पर कहा- पहले नीति निर्माता के पास जाएं
हाई कोर्ट ने ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को यह कहते हुए बंद कर दिया कि यह नीति निर्माण का विषय है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ता अनीश शर्मा को सुझाव दिया कि वे इस विषय पर उचित शोध कर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, सीबीएसई और अन्य शैक्षणिक बोर्डों को अपना प्रतिनिधित्व दें।
न्यायमूर्ति गेडेला ने टिप्पणी की कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे बेहद संवेदनशील होते हैं और प्रत्येक बच्चे के लिए अलग पाठ्यक्रम तैयार करना आवश्यक है।
बेंच ने कहा, “यह एक अच्छी पहल है, लेकिन याचिका में पर्याप्त सामग्री और शोध का अभाव है। पहले वैज्ञानिक सामग्री और विस्तृत शोध के साथ नीति निर्माताओं के पास जाएं।
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