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    क्यों मैली हो रही यमुना? वजह सामने आने पर हाईकोर्ट ने भी जताई हैरानी; दिया ये निर्देश

    By Vineet Tripathi Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Fri, 28 Feb 2025 11:07 PM (IST)

    न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि स्थिति बेहद गंभीर और निराशाजनक है। कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में दिल्ली के सभी 33 औद्योगिक क्षेत्रों में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) लगाने की तत्काल जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि दरअसल दिल्ली के 16 औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी नहीं है और यह चौंकाने वाला खुलासा है।

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    यमुना क्यों प्रदूषित हो रही है, इसका खुलासा होने पर हाईकोर्ट भी हैरान रह गया। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के 16 औद्योगिक क्षेत्रों में ट्रीटमेंट यूनिट न होने पर हैरानी जताते हुए कहा कि अपशिष्ट पदार्थ बिना ट्रीटमेंट के यमुना नदी में बह रहे हैं।

    न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि स्थिति बेहद गंभीर और निराशाजनक है। कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में दिल्ली के सभी 33 औद्योगिक क्षेत्रों में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) लगाने की तत्काल जरूरत है।

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    16 औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी नहीं

    कोर्ट ने कहा कि दरअसल, दिल्ली के 16 औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी नहीं है और यह चौंकाने वाला खुलासा है। इन 16 क्षेत्रों में अपशिष्ट पदार्थ बिना किसी उपचार के बह रहे हैं।

    राजधानी में जलभराव से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने घरेलू और रिहायशी क्षेत्रों के 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थिति पर गौर किया।

    कोर्ट ने कहा कि ऐसे 11 प्लांट में "फ्लो मीटर" लगाने में देरी असंतोषजनक स्थिति को दर्शाती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सवाल यह है कि ऐसा समाधान कैसे निकाला जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि नदी में बहने वाला सारा पानी पूरी तरह से ट्रीट हो जाए और नदी में प्रदूषण न हो।

    औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी लगाने का निर्देश

    मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें सभी औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी लगाने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि सीईटीपी के कामकाज पर दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) द्वारा दायर हलफनामे से बेहद दयनीय स्थिति सामने आई है।

    डीएसआईआईडीसी के नियंत्रण में नरेला और बवाना में सीईटीपी के बारे में पीठ ने कहा कि निगम अपशिष्टों की निगरानी, ​​दैनिक आधार पर उनका परीक्षण और प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है।

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