Delhi Bomb Blast 1993: केएलएफ आतंकवादी देविंदर भुल्लर को आत्मसमर्पण करने का आदेश, जानें क्याें मांगी थी दिल्ली हाई कोर्ट से छूट
दिल्ली हाई कोर्ट ने 1993 के बम विस्फोट के दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर को आत्मसमर्पण करने से छूट देने से इनकार कर दिया। कहा बीमारी के आधार पर राहत नहीं दी जा सकती जेल में इलाज संभव है। भुल्लर ने सिजोफ्रेनिया का हवाला देकर आत्मसमर्पण से छूट मांगी थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: पैरोल पर बाहर 1993 के Delhi Bomb Blast के दोषी खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लर को अदालत ने आत्मसमर्पण का आदेश दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उसे आत्मसमर्पण से छूट देने से इनकार कर दिया। अदालत ने देेविंदर पाल सिंह भुल्लर को दिन में ही जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा है।
बीमारी के कारण आत्मसमर्पण करने में छूट देने की मांग को न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि इलाज जेल के अंदर भी हो सकता है, ऐसे में राहत नहीं दी जा सकती है।
हाई कोर्ट के रुख पर भुल्लर के वकील ने वापस ली अर्जी
अदालत का रुख देखते हुए भुल्लर के वकील ने आत्मसमर्पण से छूट की मांग की अर्जी वापस ले ली और आश्वासन दिया कि भुल्लर शुक्रवार को ही आत्मसमर्पण कर देगा।
भुल्लर के वकील ने तर्क दिया था कि उसे सिजोफ्रेनिया है और उसका इलाज चल रहा है। जेल में वह बैरक में भी नहीं जाता है और हमेशा अस्पताल में रहता है।
पैरोल पर बाहर रहने के दौरान भी भुल्लर को जेल से जुड़े अस्पताल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए साप्ताहिक रूप से जाना पड़ता है।
वकील की दलील, 30 साल से जेल में हैं, अब रिहाई का हकदार
वकील ने यह भी कहा कि भुल्लर 30 साल से जेल में है और राहत पाने का हकदार है। इस पर अदालत ने कहा कि समय से पहले रिहाई की याचिका लंबित है और उस पर विचार किया जाएगा।
हालांकि, आवेदनकर्ता यह उम्मीद नहीं कर सकता कि उसे आत्मसमर्पण से छूट दी जाएगी। भुल्लर ने अपनी लंबित याचिका में समय से पहले रिहाई की अस्वीकृति को चुनौती देते हुए आवेदन दायर किया था।
बम विस्फोट कर नौ लोगों की हत्या करने का दोषी है भुल्लर
भुल्लर को विस्फोट में नौ लोगों की हत्या और तत्कालीन युवा कांग्रेस अध्यक्ष एमएस बिट्टा सहित 31 लोगों को घायल करने के मामले में दोषी ठहराया गया था।1995 में गिरफ्तार भुल्लर को सितंबर 1993 में दिल्ली में बम विस्फोट करने के लिए उसे दोषी ठहराया गया था।
अगस्त 2001 में टाडा अदालत ने भुल्लर को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
जून 2015 में स्वास्थ्य कारणों से उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल से अमृतसर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
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