दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, आखिरकार 24 साल बाद BSF के डीआईजी को मिलेगा उनका हक
दिल्ली हाई कोर्ट ने बीएसएफ के सेवानिवृत्त अधिकारी अश्विनी कुमार शर्मा को 24 साल बाद दिव्यांगता मुआवजा मिलने पर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि 2001 में घायल हुए सैनिक को अपने हक के लिए इतना इंतजार क्यों करना पड़ा। कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि बार-बार संपर्क करने पर भी मुआवजा क्यों नहीं दिया गया। अदालत ने याची को ब्याज सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद से सेवानिवृत्त हुए अश्विनी कुमार शर्मा को आखिरकार 24 साल बाद दिव्यांगता मुआवजा मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर में 2001 में हुए एक आइईडी विस्फोट में 42 प्रतिशत तक सुनने की शक्ति खोने के मामले में प्रशासनिक लापरवाही पर अदालत ने चिंता व्यक्त की।
न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने टिप्पणी की कि 2001 में युद्ध के दौरान लगी चोट के कारण 42 प्रतिशत श्रवण शक्ति खो चुके सैनिक को अपना हक पाने के लिए आज तक 24 साल तक इंतजार क्यों करना पड़ा।
पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि याची से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह नियमों के तहत अपने हक की मांग करते हुए अधिकारियों के पास भीख का कटोरा लेकर जाए।
अदालत ने अधिकारियों से पूछा कि बार-बार संपर्क करने वाले अश्विनी कुमार शर्मा को दिव्यांगता मुआवजा क्यों नहीं दे सकते थे।
पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि अधिकारी याची के दावे को मानने को तैयार नहीं हैं और अदालत के समक्ष यह दलील दी है कि वह 2001 से 2017 के बीच 16 वर्षों तक चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ थे।
पीठ ने कहा कि इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि याचिकाकर्ता को 2001 के बाद 17 वर्षों तक और 2017 में मेडिकल बोर्ड के निर्णय के बाद भी 2018 में सेवानिवृत्त होने तक सेवा में बनाए रखा गया।
अदालत ने माना कि याची केंद्रीय सिविल सेवा (असाधारण पेंशन) नियम- 1939 के नियम 9(3) के अनुसार विकलांगता मुआवजे के हकदार थे।
उक्त तथ्यों काे देखते हुए पीठ ने याची को 27 सितंबर 2017 को उपयुक्तता प्रमाणपत्र जारी होने की तिथि से नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित उस तिथि तक मुआवजा जारी करने का निर्देश दिया किया।
अदालत ने उक्त टिप्पणी व आदेश दिसंबर 2022 में दिव्यांगता मुआवजे के उनके दावे को खारिज करने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याची की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। याची ने दिव्यांगता मुआवजे के लिए आवेदन किया था।
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