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    'तेज रफ्तार का मतलब लापरवाही से कार चलाना नहीं', दो राहगीरों की मौत के बाद आरोपित को हाईकोर्ट ने किया बरी

    Updated: Thu, 03 Apr 2025 08:19 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने का मतलब यह नहीं है कि चालक लापरवाही से गाड़ी चला रहा था। कोर्ट ने एक मामले में आरोपित कार चालक को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि चालक वास्तव में तेज या लापरवाह तरीके से गाड़ी चला रहा था।

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    तेज रफ्तार का मतलब लापरवाही से कार चलाना नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सड़क दुर्घटना में दो राहगीरों की मौत के मामले में आरोपित कार चालक मनीष कुमार को बरी करते हुए अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि चालक लापरवाही का काम किया है।

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    न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले में संदेह से परे यह नहीं साबित कर सका कि अपीलकर्ता वास्तव में तेज या लापरवाह तरीके से कार चला रहा था। जिसके कारण दो राहगीरों की मौत हो गई थी।

    ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को दो साल की सजा सुनाई

    अदालत ने उक्त आदेश ट्रायल कोर्ट के आदेश के विरुद्ध दायर अपीलकर्ता मनीष कुमार की याचिका पर दिया। ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 279 (तेज गति से गाड़ी चलाना) और 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण बनना) के तहत दोषी करार दिया था। ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

    ट्रायल कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध अपील याचिका पर पीठ ने कहा कि किसी भी गवाह या अभियोजन पक्ष की ओर से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि तेज गति का क्या मतलब था या वह व्यक्ति वास्तव में कितनी तेज गति से गाड़ी चला रहा था।

    टायर फटने की घटना दुर्घटना से पहले हुई थी या बाद में: हाईकोर्ट

    अदालत ने कहा कि घटना के दौरान आसपास के कई कारण इस तरह की दुर्घटना की वजह बनते हैं। अदालत ने नोट किया कि कारण की स्थिति ठीक नहीं थी और उसके टायर-ट्यूब फटे हुए थे और रिम क्षतिग्रस्त थे। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष सामग्री के माध्यम से यह भी स्पष्ट नहीं कर सका कि टायर फटने की घटना दुर्घटना से पहले हुई थी या बाद में।

    अपीलकर्ता को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई

    याचिका के अनुसार यह घटना 20 फरवरी 2012 को कमला नेहरू कॉलेज बस स्टैंड के पास हुई थी। याचिका के अनुसार कार चालक अपने दोस्तों के साथ मदर डेयरी बूथ पर दूध खरीदने जा रहा था और बाएं तरफ मुड़ने के दौरान वह कार पर नियंत्रण खो बैठा और दो राहगीरों को टक्कर मार दी। दोनों राहगीरों की मौत हो गई थी। साकेत कोर्ट ने तीन दिसंबर 2022 को मामले में अपीलकर्ता को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। उक्त निर्णय को अपीलकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

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