प्रत्यारोपण के लिए चंडीगढ़ से 1:55 घंटे में दिल्ली पहुंचा दिल, बचाई 39 वर्षीय मरीज की जान
चंडीगढ़ से दिल्ली तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सर गंगा राम अस्पताल की टीम ने 1 घंटा 55 मिनट में हृदय पहुंचाया और मेरठ के 39 वर्षीय मरीज की जान बचाई। मरीज डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित था। एनओटीटीओ ने चंडीगढ़ में हृदय की उपलब्धता की सूचना दी जिसके बाद ग्रीन कॉरिडोर से उसे दिल्ली लाया गया। डॉ. सुजय शाद के नेतृत्व में सफल सर्जरी हुई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। चंडीगढ़ से दिल्ली तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सर गंगा राम अस्पताल की टीम ने न केवल प्रत्यारोपण के लिए एक घंटा 55 मिनट में हृदय पहुंचाया, बल्कि सफल सर्जरी कर मेरठ निवासी 39 वर्षीय मरीज की जान बचाई।
मरीज डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी और गंभीर माइट्रल वाल्व लीकेज की समस्या से पीड़ित था। इसके चलते पिछले चार वर्ष से सांस लेने में परेशानी झेल रहा था। सर्जरी के बाद अब मरीज तेजी से ठीक हो रहा है। सामान्य भोजन लेने के साथ ही उसने हल्का व्यायाम भी शुरू कर दिया है।
अस्पताल के मुताबिक मरीज की स्थिति गंभीर थी। पिछले छह महीनों में ही उसे मेरठ के आइसीयू में दो बार भर्ती होना पड़ा। अगस्त में स्थिति बिगड़ने पर उसे सर गंगा राम अस्पताल लाया गया। आईसीयू में उनकी हृदय क्रिया, रक्तचाप और गुर्दों को सहारा देने के लिए दवाओं से स्थिर किया गया।
इसके बाद नौ अगस्त को उसे राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए पंजीकृत किया गया। पहली बार दिल्ली से ही हृदय मिला, पर प्रत्यारोपण के लिए वह उपयुक्त नहीं था।
फिर 26 अगस्त की रात एनओटीटीओ ने सर गंगा राम अस्पताल को चंडीगढ़ में उपलब्ध एक उपयुक्त दाता हृदय की जानकारी दी। अस्पताल की रिट्रीवल टीम फौरन चंडीगढ़ रवाना हुई और 27 अगस्त की सुबह हृदय को एक कामर्शियल फ्लाइट से दिल्ली लाया गया। दोनों हवाई अड्डों (चंडीगढ़ और दिल्ली) के साथ ही दिल्ली शहर में ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।
इसके चलते हृदय सुरक्षित अवस्था में केवल 1 घंटा 55 मिनट में सर गंगा राम अस्पताल पहुंचाया जा सका। अस्पताल में पहले से तैयार कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डाॅ. सुजय शाद के नेतृत्व में कार्डियक सर्जन डाॅ. हिमांशु गोयल व डाॅ. अमन माखीजा, एनेस्थेटिस्ट डाॅ. महेश्वरी की टीम ने सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण सर्जरी की।
प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद नया हृदय तुरंत कार्य करने लगा। मरीज तेजी से रिकवर होने पर 18 घंटे के भीतर उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। उसने सामान्य भोजन और हल्का व्यायाम भी शुरू कर दिया गया है।
डाॅ. सुजय शाद ने कहा कि यह प्रत्यारोपण एनओटीटीओ, रिट्रीवल और ट्रांसप्लांट टीमों के साथ ही दो राज्यों में बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर के साझा प्रयास से संभव हुआ। हृदय का दो घंटे से कम समय में पहुंचना इस सर्जरी की सफलता में निर्णायक साबित हुआ।
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