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    स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने AIIMS में शुरू किया आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र, जानें क्या होगा इसका काम

    Updated: Mon, 04 Mar 2024 08:59 PM (IST)

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 27वें दीक्षांत समारोह और आयुर्वेदो अमृतानम पर 29वें राष्ट्रीय से ...और पढ़ें

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    स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने AIIMS में किया आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र शुरू।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने एम्स में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र का शुभारंभ किया। उन्होंने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के बीच अन्य बड़ी संयुक्त पहल की भी घोषणा की जिसमें खून की कमी यानी एनीमिया पर बहुकेंद्रीय नैदानिक परीक्षण और आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) का शुभारंभ शामिल है। 

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    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 27वें दीक्षांत समारोह और 'आयुर्वेदो अमृतानम' पर 29वें राष्ट्रीय सेमिनार का भी उद्घाटन किया। केंद्रीय मंत्री मांडविया ने सोमवार को आयुष-आईसीएमआर के लांच के अवसर पर बताया कि विभिन्न चरणों में दिल्ली के बाद जोधपुर, नागपुर और ऋषिकेश में तीन और एम्स खोले जाएंगे। 

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    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार के आयुर्वेद और एलोपैथी से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के पालन को बढ़ावा देने पर कहा, 'केंद्र सरकार लोगों की जरूरतों के लिए गुणवत्ता-उन्मुख स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आयुष और आधुनिक विज्ञान एक साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं को अनूठे तरीके से और प्रभावी बना सकते हैं। 

    'भारत को समग्र स्वास्थ्य देखभाल में ले जाना है आगे'

    उन्होंने कहा, 'आयुष में सहयोगात्मक अनुसंधान बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के बीच अंतर को पाटता है। स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक सहक्रियात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। आयुर्वेद हमारी संस्कृति, विरासत और परंपरा का हिस्सा है। इसका अभी भी हमारे रोजमर्रा के अभ्यास में पालन किया जा रहा है। इस रणनीतिक सहयोग का उद्देश्य एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान को आगे बढ़ाना, पारंपरिक आयुष प्रथाओं को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ एकीकृत करना और भारत को समग्र स्वास्थ्य देखभाल में सबसे आगे ले जाना है।'

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